संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है, अर्थव्यवस्था को लेकर पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर हमलावर हैं। जीडीपी (GDP) में गिरावट को लेकर संसद में बहस हो रही थी। बहस के दौरान झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में कहा कि GDP 1934 में आया, इससे पहले कोई GDP नहीं था। केवल GDP को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना सच नहीं है। भविष्य में GDP का कोई बहुत ज्यादा उपयोग भी नहीं होगा। आज की नई थ्योरी है सस्टेनेबल इकॉनोमिक वेलफेयर आम आदमी का हो रहा है कि नहीं हो रहा। GDP से ज्यादा महत्वपूर्ण है एक सस्टेनेबल विकास, हैप्पीनेस हो रहा है कि नहीं। लेकिन, उन्होंने खुशी नापने का पैमाना नहीं बताया ।
सांसद निशिकांत दुबे की मानें तो सकल घरेलू उत्पाद मतलब कुल मिलाकर देश में हो रहा हर तरह का उत्पादन, जिसमें कारखानों, खेतों तथा कुछ साल पहले इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं यानी सर्विस सेक्टर को भी जोड़ दिया गया। इस तरह उत्पादन और सेवा क्षेत्र की तरक्की या गिरावट का जो आंकड़ा होता है उसे गोड्डा सांसद नहीं मानते हैं।
दरअसल 29 नवंबर को जीडीपी के नए आंकड़े जारी किये थे। जिसमें जुलाई-सितंबर तिमाही के विकास दर के नए आंकड़े हैं 4.5 फीसद तथा जुलाई-सितंबर, 2019 की तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट बीते छह सालों में सबसे कम रही है। मालूम हो कि सांसद निशिकांत दुबे ही कुछ दिन पहले एक चुनावी सभा में कहा था कि भाजपा चोर, डकैत अपराधी जिसे भी टिकेट देती है, आप उसे जितायें तथा पार्टी के ऊपर विश्वास बनाये रखें। पूर्व में गोड्डा सांसद अपने ही पार्टी के सांसद साथ ट्रेन के ठहराव को लेकर आपसी बहस के कारण चर्चे में थे।