गरीबों के लिए वरदान बना ल्यूटियंस जोन का कोरोना वार रूम
नयी दिल्ली : कोराना काल में दिल्ली के ल्यूटियंस जोन में सेवा भाव वाले एक कोरोना वार रूम की हर तरफ चर्चा हो रही है। साइबर तकनीक पर आधारित और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के सरकारी बंगले से संचालित यह वार रूम न केवल दिल्ली वासियों, बल्कि बिहार समेत देश के विभिन्न भागों के कोरोना पीड़ितों के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है। पीड़ितों तक सहायता पहुंचाने के इस संगठित व योजनाबद्ध टास्क को केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के ल्यूटियंस जोन नई दिल्ली स्थित एपीजे अब्दुल कलाम रोड के बंगला नंबर 30 में उनके पुत्र अविरल शाश्वत चौबे और उनकी टीम बखूबी अंजाम दे रही है।
अविरल पेशे से इंजीनियर हैं। बचपन से संघ की शाखा में जाते रहे हैं। संकट के समय में समाज के साथ स्वतः खड़े हो जाने के संस्कारों ने उन्हें कोरोना काल में संकटग्रस्त अपने बंधुओं के लिए बेचैन कर दिया। अपनी क्षमता, उपलब्ध संसाधनों और पूरे देशभर के अपने मित्रों के सहयोग से उन्होंने कोरोना से परेशान प्रवासी लोगों व जरूरतमंदों की मदद करने की ठानी और अपने पिता के आवासीय परिसर को कोरोना वार रूम बना दिया। पहले लॉकडाउन और अब अनलॉक में जनता की मदद के लिए यह ‘वार रूम’ वरदान साबित हो रहा है।
कैसे काम करता है अविरल का वार रूम
यह वार रूम इंटरनेट व सोशल मीडिया के माध्यम से 24 घंटे सक्रिय रहता है। फेसबुक, ट्विटर, ईमेल, मोबाइल फोन व फोन के जरिए लोगों द्वारा मदद मांगने पर वार रूम के सहयोगी सक्रिय हो जाते हैं। इलाज से लेकर हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों तक हरसंभव मदद उपलब्ध कराई जा रही है। देश में लॉक डाउन के बाद अब अनलॉक का दौर जारी है। लॉक डाउन में जिनके पास खाद्य सामग्री आदि की व्यवस्था नहीं हो रही थी, उन्हें मदद पहुचाई गई थी। जैसे ही फेसबुक, टिवटर, ईमेल, फोन व मोबाइल से कोई संपर्क करता था। वार रूम के सहयोगी सक्रिय हो जाते थे। उनका नंबर वार रूम में कार्यरत सहयोगी को दिया जाता। उक्त सहयोगी इस नंबर पर रहे व्यक्ति तक मदद पहुंचाने की जिम्मेदारी संभालता था।
पूरे देश को चार जोन में बांटकर पहुंचाई मदद
अनलॉक में भी इसी भूमिका में थोड़े से बदलाव के साथ वार रूम सक्रिय है।
वार रूम के सहयोगियों को चार हिस्सों में बांटा गया जो पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण राज्यों के कार्यों को देखते हैं। वहां से आने वाले संपर्कों की एक पूरी सूची तैयार कर सभी जोन में तीन-तीन सदस्यों की जिम्मेदारी लगाई गई। इस प्रकार वार रूम के सहयोगी लोगों की समस्या से लेकर समाधान तक संपर्क में रहते थे। इसके उपरांत संबंधित राज्यों के जिलाधिकारियों एवं वहां के व्यक्तिगत संपर्क व सामाजिक संगठनों से फोन से संपर्क कर उनकी व्यवस्था कराते थे।
अनलॉक में भी जारी है मदद पहुंचाने की मुहिम
अनलॉक के दौरान कोविड-19 से पीड़ित मरीजों एवं उनके परिजनों के साथ साथ जो अन्य समान बीमारियों या इमरजेंसी के रोगी होते हैं, उनको मदद पहुंचाई जा रही है। जनता द्वारा इस कार्य के लिए संपर्क करते ही वार रूम सक्रिय हो जाता है। लॉक डाउन के दौरान अविरल का यह वार रूम दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, गुजरात आदि राज्यों में प्रवासी श्रमिकों को भोजन, सूखा अनाज, दवाइयां एवं अन्य चीजें पहुंचाने में लगा रहा। इस दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक बिहार में अपने पैतृक घरों पर भी मदद पहुंचाने की गुहार लगाते थे। उसकी सूची तैयार कर बिहार के संबंधित जिलों में उनके परिवार वालों को संपर्क कर उनकी समस्याओं से जिला प्रशासन एवं वहां कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ताओं को अनुरोध किया जाता था।
काम आया केदारनाथ त्रासदी का अनुभव
इस काम की प्रेरणा कैसे मिल, इस प्रश्न पर अविरल ने कहा कि आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक रामाषीश जी ने इस संकट के समय में अपने प्रयास से सेवाकार्य करने की सलाह दी थी। अविरल ने बताया कि मैंने आपदा का दंश झेला है। केदारनाथ में आए प्रलय में अपने पिता एवं पूरे परिवार के साथ फंसा था। मौजूदा समय में हम सभी कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हम सभी की सुरक्षा के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। मौजूदा समय में जरूरतमंदों की हर संभव मदद पर करना हम सभी का दायित्व है। जब जब भारत पर विपत्ति आई है, सभी एकजुट होकर एक दूसरे की मदद करते हैं। यही भारतीयता की एक अनमोल खूबसूरती है।
महत्वपूर्ण योजनाओं की भी दी जाती है जानकारी
वार रूम के माध्यम से जो प्रवासी श्रमिक अपने गांव गए हैं, उन्हें प्रधानमंत्री ग्रामीण कल्याण रोजगार योजना, प्रधानमंत्री मुफ्त अन्य योजना एवं आत्मनिर्भर भारत से संबंधित योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है जिससे प्रवासी श्रमिक भाइयों को मदद उपलब्ध हो सके। उन्हें किसी तरह की सरकारी योजनाओं को जानने में परेशानी ना हो, उन्हें व्हाट्सएप एवं एक्सपर्ट के माध्यम से इन योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी एवं लाभान्वित होने के तरीके बताए जाते हैं।