पटना : एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल, जलपुरुष के नाम से दुनिया में विख्यात राजेन्द्र सिंह ने पटना में गंगा सद्भावना यात्रा के समापन के बाद गंगा की स्थिति को लेकर श्वेत पत्र जारी किया। इस अवसर पर देश के प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता एवं तरुण भारत संघ के संस्थापक राजेन्द्र सिंह ने कहा कि गंगा सदभावना यात्रा दल ने गंगा के दोनो तरफ गंगा की निर्मलता के नाम पर अविरलता के हनन का दर्शन किया। इसके साथ ही निर्मलता के नाम पर हजारों करोड़ बहाए जाने को भी देखा। गंगा की बीमारी गंगा जल के प्रवाह कि कमी से है, लेकिन सरकार पैसा बहा रही है। गंगा मां की बीमारी तो हृदय रोग की है लेकिन सरकार पैरों का इलाज कर रही है। इसकी चिकित्सा के नाम पर घाटो का निर्माण कर रही है, इससे गंगा और मां का स्वास्थ ठीक नही हो सकता। हमें मां का स्वास्थ बिगाडने के लिए हिमालय को कटते हुए देखा है, लेकिन ज्ञान की राजधानी बनारस में गंगा को बचाने के नाम पर पर्दे लगाकर जापान के प्रधानमंत्री को गंगा दिखाई जाती है, गंगा जी में निर्मलता के नाम पर जो लूट हुई है, वह हमें डराती है। इस अवसर पर जलपुरूष डाॅ॰ राजेन्द्र सिंह ने कहा कि यह श्वेतपत्र कुल देशभर के 52 लोगों की टीम द्वारा जल बिरादरी के अन्तर्गत गंगा सद्भावना यात्रा के दौरान तैयार किया गया है। इसे तैयार करने में 11 राज्यों के लगभग 7 लाख लोगों से प्राप्त सूचनाओं एवं विचारों को शामिल किया गया है। याात्रा की शुरूआत 30 सितम्बर 2018 से हुई और 12 जनवरी 2019 को गंगा सागर में समाप्त हुई। उन्होंने कहा कि शहरों के गन्दे नाले नदी में जाने से गंगाजल अब पीने और नहाने लायक भी नहीं बचा है। सभी तरह की बीमारी बढ़ रही है। इलाज पर हमारा खर्च बढ़ रहा है। गंगा नदी के किनारे बसे गाँव के लोग विभिन्न बिमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। जितना हम राहत और स्वास्थ्य रक्षण पर खर्चा कर रहे हैं उससे पूरी गंगा और उससे जुड़ा समाज स्वस्थ और समृद्ध बन सकता है। यह आम जन को गंगा मैया की सच्ची तस्वीर दिखाता है।
एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने कहा कि पहली बार नदी विशेषज्ञों ने गंगा नदी को लेकर आम श्वेत पत्र जारी किया है। इसकी वैज्ञानिकता की प्रशंसा करते हुए कहा उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज गंगा माँ के वैज्ञानिक पहलुओं को सामाजिक, आध्यात्मिक, आर्थिक पर्यावरणीय पहलुओं को जोड़कर रखता है। यह समग्र रूप से आँखो देखा गंगा दस्तावेज है। सभी के लिए उपयोगी है और पूरी दुनिया में जलवायू परिवर्तन के लिए चल रहे संवाद का जवाब भी है। श्वेत पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस श्वेत पत्र द्वारा न केवल सिर्फ गंगा माँ की बिमारी को स्पष्ट किया गया है, बल्कि बड़ा स्पष्ट और शोधपरक, वैज्ञानिक और समस्या के निराकरण के उपाय भी समझाए गए हैं। वर्तमान दौर में एक ऐसे उपयोगी दस्तावेज हैं, जिसका उपयोग कर गंगा की समस्या को दूर किया जा सकता है। इस अवसर पर उपस्थित गंगा प्रेमियों ने कहा कि गंगा जी के विकास के नाम पर हो रहे लालची काम जैसे चारधार रोड निर्माण, घाटनिर्माण, जल परिवहन हेतु जलमार्ग, गंगा में खनन आदि बहुत भारी विनाशकारी काम गंगा में जारी है। गंगा पर बने बांधों ने गंगाजल की विलक्षण प्रदूषण नाशिनी शक्ति को नष्ट करके कैन्सर को बढावा दिया है। इससे नदी की हाईड्रोलिक इफिसियेन्सी भी कम हो गयी है। जिससे सिल्ट एवं बाढ़ में बढ़ोत्तरी हो रही है। वरीय पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मालवीय ने कहा कि गंगा पर बने बैराजों ने गंगा का पूरा जीवन नष्ट कर दिया है और इसके कारण बिहार बर्बाद हो रहा है। इसी के कारण बाढ़ और सूखा बढा है। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि यह श्वेत-पत्र गंगा के कानून सहित भविष्य में गंगा संबंधित मामलों में मसौदा तैयार करने व निर्णय का आधारग्रन्थ साबित होगा। गंगा की अविरलता के बिना गंगा की निर्मलता के बारे में सोचना भी बेमानी है। किसी का गला घोंटकर आप उसे जीवन देने की बात करें तो यह कहां तक तर्कसंगत है। मौके पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत अधिकारी व्यास जी मिश्र, पर्यावरणविद रमेेश सिंह समेत बडी संख्या में सामाजिक कार्यकर्तागण मौजूद थे।
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