आहर-पइन में भय, भूख व आतंक को दफन करने निकले गंधार के नर-नारी

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जहानाबाद : आहर-पइन में भय, भूख व आतंक को दफन करने निकले गंधार के नर-नारी उग्रवाद पीड़ित जहानाबाद जिले के गंधार गांव में जल संकट का समाधान देने वाला प्राचीन भारतीय माडल 60 वर्षों बाद फिर से जीवंत होने की राह पर चल पड़ा। अंतरराष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर 22 मार्च 2021 को आहर-पइन बचाओ अभियान के तहत इस गांव के हजारों नर-नारी अपने पइन की उड़ाही के लिए उमड़ पड़े।

यह गांव आहर-पइन की सुदृढ़ व्यवस्था के कारण कभी सूखा की चपेट से बाहर था। गांव के प्राचीन आहर-पइन को दुरूस्त कराकर सूखा से राहत दिलाने वाले समाजसेवी स्व.केसरी नंदन शर्मा ने आजादी के बाद करीब साठ साल पूर्व समाज को जागरित कर सबके सहयोग से यह कार्य कराया था। यह जिला जब नक्सली आतंकवाद की चपेट में आया तब इस समाजवादी की निर्मम हत्या कर दी गयी थी। इसके बाद आहर-पइन की उड़ाही व मरम्मत का काम ठप पड़ गया। इसका परिणााम यह हुआ कि यह गांव सूखा के चपेट में आ गया।

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गंगा माता की मनुहारी करने वाली गीत गाती इस गांव की हजारों महिलाएं झुंड में कुदाल, कठौत लेकर अपने गांव के पइन की सफाई के लिए निकल पड़ीं।आहर-पइन बचाओ अभियान के राष्ट्रीय संयोजक एमपी सिन्हा व उस गांव के पूव्र मुखिया मनोज शर्मा ने नारियल फोड़ कर इस अभियान की शुरूआत की।

आहर में सालोभर रहता था पानी

इस अवसर पर एम पी सिन्हा ने कहा कि इस गांव का विशाल आहर सालोभर पानी से भरा रहता था। वही इस गांव में पइन के माध्यम से वर्षा के समय फल्गुनदी का जल भी आता था। इस व्यवस्था को पुनर्जीवित कर गंधार गांव को जल-जीवन हरियाली अभियान का माडल गांव बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान में श्रमदान करने वाले हजारों लोगों के लिए सूखा भोजन सामग्री की व्यवस्था की जा रही है ताकि जब तक ये श्रमदान करें तब तक उन्हें अपने घर के रसोई के बारे में चिंता नहीं करना पड़े। गांव के लोगों एवं स्कूल के बच्चों ने जुलूस निकाल कर जनजागरण किया। इस अवसर पर एक सभा का भी आयोजन किया गया।

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