इस कारण से JDU नहीं कर रही उम्मीदवार की घोषणा, RCP के समाने ये है शर्त

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पटना : केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को लेकर जदयू में संसद की स्थिति बनी हुई है। यही वजह है कि अब तक जदयू के तरफ से राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है। आरसीपी सिंह राज्यसभा सभा का टिकट मिलेगा या नहीं इस पर अभी भी सस्पेंस पहले की तरह ही कायम है। जबकि अब नामांकन में अंतिम के 3 दिन बचे हुए हैं। लेकिन, अभी इसको लेकर नीतीश को फैसला लेने में काफी कठिनाई हो रही है।

दो तरफा प्यार में फंसे नीतीश

दरअसल, उनका खुद काआरसीपी सिंह को लेकर नीतीश कुमार के कठिनाई की मुख्य वजह उनका खुद का पार्टी के दो नेताओं पर अटूट विश्वास है। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार के बाद अगर पार्टी में कोई भी सर मान लेता है तो वह यही दोनों नेता हैं। और नीतीश कुमार दोनों में से किसी को नाराज करना नहीं चाहते हैं, क्योंकि जहां आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के बेहद खास माने जाते हैं वही ललन सिंह और नीतीश कुमार के बीच काफी पुरानी दोस्ती है ऐसे में सीएम के फैसले से एक गुट का नाराज होना तय है। हालांकि, पार्टी में दूसरे नेताओं का कहना है कि पार्टी ने राज्यसभा को लेकर नीतीश कुमार को मनोनीत किया है वह जो भी फैसला लेंगे वह सर्वमान्य होगा उस पर किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होगी।

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ललन या आरसीपी सबसे भरोसेमंद साथी कौन

बता दें कि, जहां पिछले 28 साल से आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के काफी करीबी रहे हैं तो वही जब देखो जब भी अग्रिम पक्ष के वोटों की जरूरत पड़ी है तो सबसे अग्रिम पंक्ति में ललन सिंह ही खड़े नजर आए हैं ऐसे में हुआ ललन सिंह को नाराज कर समाज के अग्रिम पंक्ति में खड़े लोगों को नाराज करना नहीं चाहते हैं। हालांकि यह भी बात है कि ललन सिंह पर पार्टी से विद्रोह कर दूसरे पार्टी में शामिल होने का एक धब्बा भी जरूर लगा हुआ है इस कारण से नीतीश कुमार को थोड़ा फायदा इस बात का हो सकता है।

लेकिन यह भी कहा जाता है कि जब से केंद्र में आरसीपी सिंह मंत्री बने हैं तब से नीतीश कुमार के सबसे अधिक करीबी कोई रहा है तो वह ललन सिंह ही हैं। चाहे वह उत्तर प्रदेश चुनाव हो या फिर नीतीश कुमार के जन्मदिन पर पार्टी के होने वाले कार्यक्रम हर जगह नीतीश कुमार ने ललन सिंह पर ही भरोसा किया है।

चहेते की दिमाग से नीतीश का आरसीपी के सामने यह शर्त

इस बीच जदयू सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीएम नीतीश कुमार ने राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर आरसीपी सिंह के सामने एक शर्त रखी है। अब यह आरसीपी सिंह पर है कि वे इसे स्वीकार करें या न करें।

नीतीश कुमार के शर्त के मुताबिक आरसीपी सिंह यदि मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं रहते हैं, तभी उन्हें राज्यसभा के लिए दोबारा नामित किया जाएगा। नीतीश कुमार के इस शर्त के पीछे का दिमाग किसी और का बताया जा रहा है।

अनुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग

बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार के करीबी नेता ने उन्हें बताया है कि यदि आरसीपी सिंह कैबिनेट में मंत्री नहीं रहते हैं तो जदयू केंद्र में अनुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग करेगा इस तरह नीतीश एक तीर से दो निशाना लगायेंगे। एक तो वह आरसीपी को अपनी शर्तों पर रखेंगे और दूसरी तरफ बीजेपी को यह संदेश भी जाएगा कि नीतीश अपने तरीके से खेल चलाना चाहते हैं। वे सांसद की संख्या के आधार पर मोदी मंत्रिमंडल में अपनी दावेदारी चाहते हैं।

इस वजह से नाराज है नीतीश और ललन

बताया जाता है कि, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष इस बात को लेकर काफी नराज है कि जदयू को केंद्रीय मंत्रिमंडल में समानुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। वहीं, कहा यह भी जा रहा है कि जब जदयू को मोदी कैबिनेट में मात्र एक सीट दिया गया था तब भी नीतीश कुमार और ललन सिंह दोनों में से कोई तैयार नहीं थे, लेकिन नीतीश कुमार को आरसीपी सिंह से लगाव और उनकी जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा और आरसीपी सिंह ने भाजपा के सीट स्वीकार कर लिया। लेकिन, इस बात को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी भी नाराज है, यही वजह है कि जेडीयू के प्रत्याशी की घोषणा में विलंब हो रहा है।

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