मानव समाज के उत्थान के लिए व्यवहार में गीता का ज्ञान उतारना जरुरी
पटना : बिहार सरकार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि गीता का उपदेश सभी धर्म जाति के लोगों के कल्याण करने वाला है। गीता को लेकर किसी भी प्रकार का विवाद करना वास्तव में मानवता का विरोध है। बिहार सरकार के मंत्री पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग पटना विश्वविद्यालय पटना में प्रज्ञा प्रवाह (चिति) के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित गीता जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
भारत में प्राचीन परंपरा से ही सभी धर्मों का सम्मान
उन्होंने कहा कि हमारी पूजा पद्धति अलग हो सकती है लेकिन हमारी संस्कृति ज्ञान और परंपरा तथा पूर्वज एक ही है। उन्होंने कहा कि भारत में प्राचीन परंपरा से ही सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है। यही कारण है कि भारत में चरित्र और मस्जिद अपने मूल स्वरूप में विद्यमान हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान यदि हमारे व्यवहार में उतर जाए तो हमारा उत्थान कोई नहीं रोक सकता है।
गीता कर्म, ज्ञान और भक्ति की त्रिवेणी
वहीं, इस समारोह के मुख्य वक्ता संपूर्णानंद विश्वविद्यालय वाराणसी के तुलनात्मक धर्म – दर्शन विभाग के अध्यक्ष प्रो. हरि प्रसाद अधिकारी ने कहा कि गीता कर्म, ज्ञान और भक्ति की त्रिवेणी है। उन्होंने कहा कि यह मनुष्य को संपूर्णता प्रदान करती है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि गीता वह शास्त्र है जिससे मनुष्य के संपूर्ण क्षमता का विकास संभव है।
गीता का प्रारंभ धृतराष्ट्र की वाणी से
इसके अलावा इस कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रास बिहारी सिंह ने कहा कि गीता का प्रारंभ धृतराष्ट्र की वाणी से होता है और अंत संजय के मुख्य से निकले शब्द अर्जुन के विजय की घोषणा के साथ होता है। ठीक इसी तरह गीता मानव जीवन के संपूर्ण जीवन दर्शन का ग्रंथ है।
इसके अलावा इस कार्यक्रम में पटना विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर गिरीश कुमार ने कहा कि गीता का प्रत्येक श्लोक शोध का विषय है जिस पर शोधार्थियों को शोध करना चाहिए जिसमें पटना विश्वविद्यालय उन को प्रोत्साहित भी करेगा। गीता हमें कर्म पथ पर दृढ़ता के साथ चलने का संदेश भी देता है।
इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर रमेश चंद्र सिन्हा ने कहा कि गीता धर्म अर्थ और काम मोक्ष, प्रदान करने वाली ग्रंथ है। गीता में कर्म के अनुष्ठान की प्राप्ति का उपाय बताया गया है इसलिए कि का संपूर्ण मानव समाज का ग्रंथ है।
इसके साथ ही इस कार्यक्रम में चिति के प्रांत संयोजक कृष्ण कांत ओझा ने कहा कि गीता मनुष्य के केवल जड़ शरीर की बात नहीं करता बल्कि शरीर के स्वामी आत्मा आत्मा की ऊर्जा को संचालन करने वाली मन बुद्धि और चित्र के साथ समाज सृष्टि और इन शवों को जोड़ने और धारण करने वाले प्रामताव का भी विचार करती है। इस प्रकाश गीता एक कहावत मानव दर्शन को पूरा करने वाला ग्रंथ है।
इसके साथ ही इस कार्यक्रम में संस्कृत संस्कृत विभाग पटना विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेशनल लक्ष्मी नारायण सिंह पूर्व अध्यक्ष डॉ सुधा मिश्रा और प्रत्यय संस्कृत परिषद के छात्र प्रमुख विष्णु प्रभाकर भी मौजूद रहे। इस सभी लोगों ने भी गीता को लेकर अपनी बातों को रखा। इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर अशोक कुमार ने किया।