पहले हवा उड़ाई, फिर क्यों JDU ने खुद खत्म की नीतीश की ‘राष्ट्रपति’ दावेदारी?
पटना : जैसे ही चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव की तारीख का ऐलान किया वैसे ही बिहार में नीतीश कुमार के नाम पर सियासी ट्रेंड सक्रिय हो गया। हवा उड़ाई गई कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार प्रेसिडेंट मैटेरियल हैं और उन्हें विपक्ष भी पसंद करता है तथा एनडीए के तो वो हैं ही। लेकिन अब जिन लोगों ने यह हवा उड़ाई थी, अब वहीं इससे किनारा कर गए हैं। जदयू के वरिष्ठ मंत्री और मुख्यमंत्री के करीबी संजय झा ने आज शुक्रवार को साफ कर दिया कि नीतीश कुमार को 2025 तक बिहार के लोगों की सेवा करने का मैंडेट मिला हुआ है और वे सीएम ही रहेंगे। इससे साफ हो गया कि नीतीश कुमार राष्ट्रपति पद की रेस में नहीं हैं।
जदयू नेताओं की बयानबाजी और अब सफाई
ताजा मामला तब शुरू हुआ जब नीतीश के करीबी मंत्री श्रवण कुमार ने बयान दिया कि नीतीश कुमार में राष्ट्रपति बनने की सारी योग्यता है। उनके इस पद पर चुने जाने से सारे देश को लाभ होगा। इसके बाद जदयू में नीतीश कुमार को प्रेसिडेंट मैटेरियल सिद्ध करने की होड़ मच गई। मीडिया ने भी इसे हाथोंहाथ लिया। लेकिन इसके बाद सहयोगी भाजपा के एक मंत्री ने जब कटाक्ष किया कि लाखों लोग प्रेसिडेंट मैटिेरियल हैं तब जदयू के सभी नेता अपने स्टैंड से कन्नी काटने लगे।
भाजपा की दोटूक के बाद जदयू ने काटी कन्नी
भाजपा के मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने जदयू की ताजा मुहिम पर मीडिया से कहा कि लाखों लोग राष्ट्रपति बनने की योग्यता रखते हैं। लेकिन ये भाजपा का सामूहिक निर्णय होगा। इसी के बाद एक के बाद एक जदयू नेता सामने आने लगे और राष्ट्रपति मैटेरियल वाले अपने स्टैंड और बयान से काफी सफाई के साथ किनारा कर लिया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार नीतीश कुमार इस समय बिहार का किला बचाने की चुनौती से जूझ रहे हैं। भाजपा उन्हें पहले ही अनधिकारिक तौर पर उपराष्ट्रपति पद का आफर थमा रखा है। ऐसे में वे राज्य में फिर से भाजपा के साथ पचड़े से बचना चाह रहे।
नुकसान के डर से जदयू बैकफुट पर
ये सारी बातें एक्शन में भी नजर आईं। बिहार एनडीए के भीतर जदयू और भाजपा के बीच कोई नया बवाल न शुरू हो जाए इसलिए जदयू के मंत्री श्रवण कुमार ने भी अपने पूर्व के बयान पर सफाई दी। श्रवण कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए न तो नीतीश कुमार ने कोई दावेदारी की है और ना उनकी इस संबंध में कोई लालसा है। स्पष्ट है कि जदयू बिहार में नीतीश सरकार की गिरती लोकप्रियता से काफी हिली हुई है। ऐसे में जदयू नेताओं का राष्ट्रपति मैटेरियल वाले स्टैंड से पीछे हटना उनके उस डर को जाहिर करता है कि कहीं नीतीश के नाम पर नया बखेड़ा पार्टी के लिए नुकसान का सबब न बन जाए।