फिर विश्वगुरू बनने को करवट ले रहा भारत : दत्तात्रेय होसबोले

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देवघर : भारत अब उन्नति की एक महत्वपूर्ण मंजिल पर पहुंचते हुए सैकड़ों वर्षों के बाद करवट लेने की स्थिति में आ गया है। आज विश्व में भारत के लिए गौरव का भाव जागा है और हम फिर विश्वगुरू बनने की राह पर चल पड़े हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने बाबानगरी देवघर के कबिलासपुर में प्रदीप भैया जी महाराज द्वारा चलाये जा रहे सेवा फाउंडेशन की ओर से हनुमान सेवा केंद्र में आयोजित श्री हनुमान महोत्सव के भूमि पूजन समारोह को संबोधित करते हुए उक्त बातें कही। इस दौरान श्री होसबोले ने हनुमान जी का ध्वजारोहण भी किया।
उन्होंने कहा कि आज भारत के संदेश, जीवन, विचार, अध्यात्म, धर्म, संस्कृति और भाषाओं के अध्ययन की चाह अनेक देशों के विद्वानों, शोधकर्ताओं के बीच जगी है। आज विश्व के 193 देशों में योग किये जा रहे हैं। इससे हमारी पहचान बनी है। जर्मनी के प्रत्येक विश्वविद्यालय में संस्कृत पढ़ाई जा रही है। इंग्लैंड के स्कूलों में संस्कृत की कक्षाएं चल रही हैं। हमारे देश में सिनेमा के गानों पर अंताक्षरी होती है, लेकिन अमेरिका के हिन्दू बच्चे भागवत गीता पर अंताक्षरी खेलते हैं, जबकि इसके लिए गीता का कंठस्थ होना जरूरी है। होसबोले ने कहा कि आज परिस्थितियां बदली हैं। विश्व के कई देशों में आयुर्वेद केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं। डेविड फ्रॉली ने आयुर्वेद और योग के केंद्र अमेरिका के न्यू मैक्सिको में प्रारंभ किये हैं। आयुर्वेद के पाठ्यक्रम को वहां के विश्वविद्यालय में स्थान मिला है। प्राणायाम और ध्यान से हृदय पर होने वाले प्रभाव से संबंधित पेपर अमेरिका की कार्डियेक सोसाइटी की जर्नल में पहली बार प्रकाशित हुआ। इसमें बताया गया कि हृदय रोगियों के लिए प्राणायाम और ध्यान फायदेमंद है। इसके अलावा भारत के प्राध्यापक दक्षिणपूर्व एशिया के महत्वपूर्ण देश इंडोनेसिया और बाली गये और वहां आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना की। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि भारत के इन अमूल्य धरोहरों और संस्कृति के भंडारों से विश्व की मानवता आकर्षित हो रही है और उसे लेने के लिए आगे बढ़ रही है। इसलिए हमारे लिए यह अवसर भी है और कर्तव्य भी कि गांव-गांव में भारत की यशोगाथा के लिए ऐसे लोगों को तैयार करें। इसके लिए त्याग, आदर्श, सादगी, तपस्या के साथ ही परिश्रम भी चाहिए। हमें अपने ज्ञान और महानता को पहले अपने हृदय के अंदर धारण करना पड़ेगा। अपने आस-पड़ोस, ईर्द-गिर्द रहनेवाले व्यक्तियों, मीडिया, शिक्षा, राजनीति, धार्मिक, खेत-खलिहान, फैक्ट्रियों, व्यापार के क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों में भारत को देखना चाहिए कि उनमें इस महानता को कैसे लायें। यही कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ करता है और उसी से संस्कारित होकर प्रदीप भैया ने भी कार्य प्रारंभ किया है। इसलिए सेवा फाउंडेशन का कार्य राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का हिस्सा है।
संघ के सह सरकार्यवाह ने कहा कि बच्चों को शिक्षक कक्षाओं में पढ़ाएंगे, लेकिन होमवर्क तो उन्हें खुद करना पड़ेगा। तभी परीक्षा में पास होंगे। जीवन के हर क्षेत्र में ऐसा ही होता है। कर्तव्य और लगन से जिस काम को पूरा करने का संकल्प लिया है, उसमे मेहनत करने पर ही सफलता मिलती है। मनुष्य को प्रयत्न भी चाहिए और भगवान की कृपा भी। जीवन में कभी न कभी अंधकार आता है, लेकिन मनुष्य को विश्वास रखना चाहिए कि रात्रि समाप्त होगी और उजाला होगा। संक्रांति तो हर महीने होती है, लेकिन मकरसंक्रांति विशेष संयोग है। आज से दिन का उजाला बढ़ता जायेगा अगले छह माह सूर्य के दक्षिणायण होने तक। हनुमान महोत्सव के भूमि पूजन के बाद कैलेंडर का विमोचन भी दत्तात्रेय होसबोले ने किया। समारोह में प्रदीप भैया जी महाराज के अलावा झारखंड के श्रम मंत्री राज पलिवार, देवघर विधायक नारायण दास, संघ के प्रांत प्रमुख रविशंकर सिंह, विभाग प्रचारक एवं प्रान्त महाविद्यालयीन छात्र कार्य प्रमुख गोपाल शर्मा, डॉ. एनडी मिश्रा, डॉ. संजय, भाजपा नेता राकेश भाष्कर सहित करीब एक हजार लोग उपस्थित थे।

अहंकार में कुचलने की प्रवृत्ति जंगली व्यवहार

श्री होसबोले ने कहा कि आज एक मनुष्य स्वार्थ, अधिकार, अहंकार और मद में दूसरे को दबाने और कुचलने का प्रयास करता है। यह जंगली व्यवहार है। जानवरों की प्रवृत्ति है, लेकिन मनुष्य सुसंस्कृत है। वह सोचता है मेरे अंदर परमात्मा का अंश है। यही शिक्षा और संस्कृति है। इसलिए इसे हमें समझना चाहिए। जीवन के हर बच्चे आगे बढ़ें। इसके लिए हमें वातारवरण तैयार करना पड़ेगा। उत्साह पैदा करना पड़ेगा। भगवान से मेरी प्रार्थाना है कि हम परम उत्साह से परम सिद्धि को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ें। भारत के कृतिमान को स्थापित करें। तब भारत का जय-जयकार करने के लिए दुनिया भर के आदमी खड़े होंगे। बशर्ते हमारा लक्ष्य आंखों के सामने से ओझल नहीं होना चाहिए।

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सेवा करने वालों की भी समाज परीक्षा लेता है

उन्होंने कहा, मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि जब कोई व्यक्ति आगे बढ़ता है तो समाज का सहयोग जरूर मिलता है। लोगों में भावना है कि ऐसे लोगों की मदद करूं। इसीलिए देश में लाखों सामाजिक सेवा कार्य खड़े हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, कुष्ठ रोगियों, उनके बच्चे, दिव्यांगों सहित कई क्षेत्रों में सेवा के काम हो रहे हैं। उन्होंने कहा, अच्छे कार्यों के लिए समाज में समर्थन मिलता ही है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी दुख भी होता है जब लोग सिर्फ नकारात्मक बातें करते हैं, लेकिन समाज में जो अच्छाई और सच्चाई के साथ ही कुछ करने की इच्छा है उसे जागृत करने की जरूरत है। इसके लिए किसी को आगे आना पड़ता है, लेकिन समाज उनकी भी परीक्षा लेता है। लोगों के विश्वास पर जब वे खरे उतरते हैं तो उनका समर्थन 100 गुना बढ़ जाता है। देखकर अच्छा लगता है कि हमारे साथी एक विशेष काम के लिए आगे बढ़े हैं और प्रदीप भैया को भी समाज का समर्थन मिल रहा है।

त्याग और सेवा ही भारत की पहचान

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि भारत के दो लक्ष्य हैं। त्याग और सेवा। इन दोनों के बिना भारत पूरा नहीं है। यह भारत की पहचान है। यही स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है। इसलिए जो तबका संकट में है, दुख में है उनकी सेवा जरूरी है। इसके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य जरूरी है। स्वास्थ्य ठीक रहेगा तभी कर्तव्य कर सकते हैं। स्वास्थ्य के साथ कर्तव्य बोध और शिक्षा के साथ संस्कार होता है। इसलिए राष्ट्र पुनर्निर्माण के इस महायज्ञ में प्रदीप भैया और उनके सेवा फाउंडेशन काम महान राष्ट्रीय कार्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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