18 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में एनआरसी, जेएनयू, जम्मू कश्मीर व लद्दाख की स्थिति, बेरोजगारी व आर्थिक सुस्ती जैसे मुद्दों पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच टकराव हो सकती है। नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराने, आयकर अधिनियम 1961 और वित्त अधिनियम 2019 में संशोधन को प्रभावी बनाने के लिए सितंबर में एक अध्यादेश जारी किया गया था। जिसका उद्देश्य नई एवं घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में कमी लाकर आर्थिक सुस्ती को रोकना और विकास को बढ़ावा देना है। इस टैक्स कारण भारत सरकार को सलाना लगभग डेढ़ लाख करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा। दूसरा अध्यादेश भी सितंबर में जारी किया गया था जिसमें ई-सिगरेट और इसी तरह के उत्पाद की बिक्री, निर्माण एवं भंडारण पर प्रतिबंध लगाया गया है।
अनुच्छेद 370 व राममंदिर पर फैसला आने के बाद भाजपा का वर्तमान समय में सबसे अहम मुद्दा नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित करना है। इस विधेयक का लक्ष्य है कि पड़ोसी देशों से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना। सरकार ने इस विधेयक को अपने पहले कार्यकाल में भी पेश किया था। लेकिन, विपक्षी दलों के विरोध के चलते इसे पारित नहीं कराया जा सका, विपक्ष ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक आधार पर बाँटने का आरोप लगती रहती है।
निशा भारती