पटना: चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव का फोन का टोन ने खेल बिगाड़ दिया है। दरअसल, लालू प्रसाद यादव पर कथित रूप से बिहार में विधानसभा अध्यक्ष को लेकर होने वाले मतदान को प्रभावित करने आरोप लगा है। इसको लेकर झारखंड सरकार ने कानूनी पहल करते हुए लालू यादव को 25 एकड़ के ‘केली’ से रिम्स के छोटे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया है।
रिम्स के पेइंग वार्ड में शिफ्ट होने के बाद अब लालू वफादार सेवादार का दीदार नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा राजद सुप्रीमो के प्रति जिस तरह भाजपा आक्रमक है, उस अनुसार कहीं लालू को तिहाड़ न जाना पड़े। क्योंकि, जिस विधायक को लालू ने मंत्री बनाने का प्रलोभन दे रहे थे, वे विधायक यानी ललन पासवान, पाला बदलने को राजी नहीं हुए और बदले में उन्होंने मुकदमा ठोक दिया।
भाजपा विधायक ने निगरानी थाने में लालू प्रसाद यादव पर मुकदमा दर्ज करवाया है। जिसमें विधायक ने लिखा है कि 24 नवंबर को मेरे मोबाइल पर एक टेलीफोन आया। फोन उठाने पर दूसरी तरफ से बताया गया कि मैं लालू प्रसाद यादव बोल रहा हूँ, तब मैंने समझा की शायद चुनाव जीतने के कारण वो मुझे बधाई देने के लिए फोन किये है, इसी लिए मैंने उनको कहा, आपको चरण स्पर्ष। उसके बाद उन्होंने मुझे कहा कि वो मुझे आगे बढ़ाएंगे और मुझे मंत्री पद दिलवाएंगे, इसीलिये 25 नवंबर को बिहार विधान सभा अध्यक्ष की चुनाव में मैं अनुपस्थित होकर अपना वोट नहीं दूँ। उन्होंने यह भी बताया की इस तरह से वो कल NDA की सरकार गिरा देंगें। इसपर मैंने उन्हें कहा कि मैं पार्टी का सदस्य हूँ, ऐसे करना मेरे लिए गलत होगा, उसपर उन्होंने मुझे पुनः प्रलोभन दिया और कहा कि आप सदन से गैरहाजिर हो जाइए और कह दीजिये कि कोरोना हो गया है बाकि हम देख लेंगें।
इस तरह लालू प्रसाद यादव जो कि राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं एवं रांची में चारा घोटाला केस में सजायाफ्ता हैं, उन्होंने जानबूझ कर सोची समझी साजिश के तहत मुझे राजनीति में आगे बढ़ाने एवं मंत्री बनाने का लालच देकर मुझे विधायक जो एक जन सेवक (पब्लिक सर्वेंट) होता है उसका वोट खरीदने एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी की सरकार को गिराने के लिए जेल के अंदर से फोन लगाकर मुझसे मोबाइल फोन पर सम्पर्क किया एवं मेरा वोट अपने एवं अपनी पार्टी के महागठबंधन के पक्ष में लेने की कोषिष की एवं मुझसे भ्रष्टा आचरण कराने का प्रयास किया।
अतः श्री लालू प्रसाद यादव के विरुद्ध भारतीय दंड विधान एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाय।