फिर जिंदा हो उठा आतंकी भटकल का दरभंगा माॅडल

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पटना : इंडियन मुजाहिद्दीन के जुड़े आतंकी यासिन भटकल के कारण मिथलांचल की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा की पूरे देश में छवि बिगड़ी थी। 5 जून 2020 दरभंगा में फिर से भयानक विस्फोट हुआ जिसके कारण खूंखार आतंकी भटकल के दरभंगा माडल की याद लोगों के जेहन में फिर से जिंदा हो उठी है। वैसे तो दरभंगा के आजमनगर मुहल्ले में रहने वाले मोहम्मद नजीर नदाफ के घर में विस्फोट हुआ था। लेकिन, उस विस्फोट के कारण हिंदू और मुसलमानों के कई घर ध्वस्त हो गए। इस विस्फोट के कारण बहुसंख्यकों के साथ ही अल्पसंख्यकों में भी दहशत है।

दरभंगा के सभी समुदाय के लोग इस भयानक विस्फोट को आतंकी गतिविधि से जोड़ कर देख रहे हैं। दरभंगा में चैक-चैराहे पर लोग यह कहते मिल जाते हैं कि जौ के साथ घून भी पीसा जाता है। लेकिन, शासन इस अतिसंवेदनशील मामले के तह तक जाने के बजाए उस पर पर्दा डालने में जुटा है। प्रथमतः तो शासन के लोग इसे पटाखे के गोदाम से विस्फोट बताते रहे है। लेकिन, विस्फोट स्थल के आसपास से प्राप्त सामन कुछ दूसरा ही संकेत कर रहा

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दरभंगा के विश्वविद्यालय थानाक्षेत्र के आजमनगर मोहल्ला स्थित मोहम्मद नजीर नदाफ के घर लगभग 2.15 में जब विस्फोट हुआ तब उसके आसपास के लोगों को लगा कि भूकम्प आ गया है। तीन किलोमीटर के दायरे में धमाके की आवाज सुनाई दी। नजीर का मकान ध्वस्त हुआ साथ ही कई घरों को भी क्षति पहुंची। दूर तक कई घरों के खिड़कियों के शीशे चूर-चूर हो गये। नजीर के घर के समीप दो बड़े पेड़ भी गिर गये। लोग जब नजीर के घर के सामने पहुंचे तो वहां सुतली लपेटे कई बम मिले। केन बम में इस्तेमाल होने वाले दो प्लेट भी मिले।

शासन से लोग यह जानना चाहते हैं कि रियाइशी इलाके में पटाखे बनाने की छूट नहीं मिलती है। लेकिन मोहम्मद नजीर अवैध रूप से पटाखा कैसे बनाता था? प्रश्न यह भी है कि पटाखों से हुआ धमाका इतना तीव्र नहीं होता कि किसी का मकान ही पूरी तरह ध्वस्त हो जाये। फिर विस्फोट के कारण नजीर के घर के साथ ही आसपास के कई मकान भी ध्वस्त हो गए। दूरी पर स्थित घरों की खिड़कियों के शीशे कैसे टूट गए। ऐसी स्थिति अत्यंत शक्तिशाली बम के विस्फोट से ही उत्पन्न होगती है।

दरभंगा नगर पुलिस अधीक्षक योगेन्द्र कुमार भी मानते हैं कि नजीर बिना लाइसेंस के पटाखे बेचता था लेकिन, बम बनाए जाने से संबंधित प्रश्नों पर वे मौन हो जाते हैं। जिलाधिकारी डाॅक्टर त्यागराजन एसएम ने जांच कराने के लिए एडीएम के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम बनाई है। लेकिन, उस टीम में विस्फोट में उपयोग किए जाने वाले पदार्थ की जांच की क्षमता नहीं है।

इंडियन मुजाहिद्दीन के सह संस्थापक यासिन भटकल की गिरफ्तारी के बाद जांच का दायरा जब बढ़ा था तब भारत में आतंक का अत्यंत खतरनाक दरभंगा माॅड्यूल सामने आया था। दरभंगा माॅड्यूल की ताकत उसका स्लीपर सेल है। दरभंगा के युवकों को आतंकवाद से जोड़ने के लिए भटकल ने इस माॅड्यूल को विकसित किया था। इसमें युवाओं को पहले आतंकवाद की तरफ प्रेरित किया जाता है फिर उन्हें आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के बाद इन्हें वापस दरभंगा भेज दिया जाता था। घर पर रहते हुए भी इन्हें प्रत्येक महीने की अच्छी पगार मिलती थी। आवश्यकता पड़ने पर कुछ महीने पहले इन्हें वापस बुला लिया जाता था और भारत में कोई भी आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता था। भटकल के इस माॅड्यूल का जब खुलासा हुआ था तब दरभंगा के कई अल्पसंख्यक परिवार के मुखिया बेचैन हो उठे थे। उन्हें अपने बच्चों की चिंता सताने लगी थी। जाकिर नाइक की लिखित पुस्तकें और पोस्टर भी दरभंगा आतंक माॅड्यूल में खूब इस्तेमाल किये गय थेे।

2010 से 2014 के बीच 14 इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी दरभंगा से गिरफ्तार किये गये। सबसे मजे की बात यह थी कि हर गिरफ्तारी का संबंध दारूल किताब सुन्ना लाइब्रेरी से भी था। ऐसा कहा जाता था कि इस लाइब्रेरी से ही इंडियन मुजाहिद्दीन दरभंगा माॅड्यूल को अंजाम देता था।

पटना के गांधी मैदान में भाजपा के भावी प्रधानमंत्री के तौर नरेन्द्र मोदी ने 27 अक्टूबर, 2013 को एक रैली की थी। इस ऐतिहासिक रैली में लगातार बम धमाके हुए। इस आतंकी घटना को भी दरभंगा माॅड्यूल के तहसीन ने अंजाम दिया था। इंडियन मुजाहिद्दीन के लिए दरभंगा सबसे सुरक्षित स्थान था। इस माॅड्यूल में सबकुछ शामिल हैय अवैध घुसपैठिए, वोट बैंक पाॅलिटिक्स और सांप्रदायिक तनाव। पुणे और उत्तर प्रदेश में जब भटकल का माॅड्यूल फेल कर गया तब उसने दरभंगा माॅड्यूल पर ही विश्वास किया। पुणे और आजमगढ़ में पुलिस की सतत निगरानी थी जबकि, दरभंगा एक लो प्रोफाइल क्षेत्र है। बिहार में वोट बैंक पाॅलिटिक्स के कारण दरभंगा माॅड्यूल हमेशा सुरक्षित माना गया। भटकल भी गिरफ्तारी के पूर्व लंबे समय तक इस इलाके में छुपा हुआ था।

यह सच्चाई है कि दरभंगा आतंकवाद के लिए नई फसल उपलब्ध कराता रहा है। यह स्लीपर सेल के लिए जाना जाता है। वोट बैंक पाॅलिटिक्स के कारण कोई भी इसपर खुलकर बोलने से परहेज करता है। ऐसे में नजीर के यहां हुए धमाके को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस धमाके में कई गरीब लोगों के घर ध्वस्त हो गए। ये मुआवजे की मांग को लेकर सड़क पर उतर रहे हैं तो बल प्रयोग कर प्रशासन इनका मुंह बंद करा रहा है।

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