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फिल्म 2.0 की क्या है कहानी व क्लाइमेक्स? पढ़िए यहां

सपाट कहानी और कमजोर क्लाइमेक्स के बावजूद अगर किसी फिल्म को देखने के लिए लोग उतावले हों, तो समझिए वह फिल्म एस. शंकर की होगी, जिसमें रजनीकांत ‘हीरो’ (मुख्य पात्र नहीं) होंगे। 29 नवंबर को रिलीज हुई फिल्म ‘2.0’ भी इसी वर्ग में आती है। भव्य फिल्में बनाने वाले शंकर ने इसका निर्देशन अपने खास अंदाज में किया है।

Akshay Kumar plays PakshiRajan, the antagonist, in film 2.0

मोबाइल फोन नेटवर्क के दुष्प्रभावों के कारण पक्षियों की मौत हो रही है। पक्षीराजन (अक्षय कुमार) इससे दुखी होकर आत्महत्या कर लेता है। फिर वह शैतान बनकर मानव पर जुल्म ढाता है। उसके जुल्म से छुटकारा दिलाने के लिए वैज्ञानिक डॉ. वशीकरण चिट्टी 2.0 को तैयार करता है। किसी विशेष ट्वीस्ट के बिना इस कहानी को शंकर ने परोसा है। पहले शॉट में अखबार के कतरन, जिसमें मोबाइल नेटवर्क क खबर छपी होती है। उसके बाद पक्षीराजन की आत्महत्या। फिर जब शुरू के एक घंटे तक लोग अक्षय कुमार के आने की प्रतीक्षा करते हैं। वे आते हैं। फिर पक्षीराजन व 2.0 में युद्ध होता है। फिर उपदेशात्मक अंदाज में मोबाइल फोन के सीमित उपयोग की नसीहत देकर यह फिल्म समाप्त होती है। इस कहनी को अगर कम से कम वीएफएक्स के साथ 50 करोड़ में बनाया जाता, तो यह पहले दिन से दम तोड़ने लगती।
साधारण कहानी एवं सपाट पटकथा के बावजूद फिल्म में एक्शन और स्पेशल इफेक्ट (वीएफएक्स) के जादू ने असर दिखाया। रही सही कसल रजनी के जलवे ने पूरा कर दिया। फिल्मकार का ध्यान ‘क्या कहना है?’ में न होकर ‘कैसे कहना है?’ में रहा। शंकर ने बात सामान्य ही कही। लेकिन, कहने का अंदाज इतना भव्य है कि इस कहन में करीब 500 करोड़ रुपए खर्च हो गए। 2.0 की भव्यता में सबसे अधिक योगदान वी. श्रीनिवास मोहन का है। उन्होंने 2.0 के वीएफएक्स पर काम किया है। वे इससे पहले बाहुबली के वीएफएक्स भी तैयार किए थे। श्रीनिवास मोहन और शंकर की जोड़ी विगत 15 सालों से काम कर रही है। एआर रहमान का संगीत और रसूल पुकुट्टी की पार्श्वध्वनि कोई विशेष प्रभाव नहीं छोड़ता। आठ साल पहले शंकर ने एंथीरन (रोबोट) बनायी थी। 2.0 उसकी का सिक्वल है। वीएफएक्स की बात करें तो एंथीकरन के मुकाबले 2.0 सिर्फ दो गुना नहीं, बल्कि 10 गुना है। एंथीरन के मुकाबले 2.0 मानवीय कम और मशीनी ज्यादा है।

Rajinikanth steals the show in the film.

रजनीकांत के खास अंदाज के उसनके फैंस कायल हैं। कहानी की गति, लोकेशन, सह कलाकार, संगीत आदि कुछ भी हो, उससे दर्शक को कोई मतलब नहीं। उनके लिए रजनी सर ही सबकुछ हैं। शंकर रजनी की ताकत पहचानते हैं। उन्हें यह भी पता है कि रजनीकांत नाम पर 500 करोड़ रुपए खर्च करना फायदे का सौदा है।

High Octane fans of Rajinikanth enthused to catch the First Day First Show of 2.0 at Fun Cinemas in Patna on Thursday

अक्षय कुमार ने पहली बार इस प्रकार का किरदार निभाया है। थलैवा (रजनीकांत) की उपस्थिति के बावजूद अक्षय ने ध्यान खिंचा है। एमी जैकसन का पात्र एक रोबोट है। उनका अभिनय भी रोबोटिक है। आदिल हुसैन को जितना अवसर मिला, उसे अच्छे से उपयोग किया है। विज्ञान—तकनीक की ताकत से इतना भव्य फिल्म बनाने के लिए शकर की प्रशंसा होनी चाहिए। लेकिन, साथ ही शंकर को हॉलीवुड फिल्मों की नकल से भी बचना चाहिए। 2.0 देखते वक्त कहीं न कहीं ‘एलियन’, टर्मिटनेटर और घोस्टबस्टर्स के दृश्य याद आ सकते हैं। देश में पहली बार 3डी कैमरे से फिल्म शूट करने के लिए शंकर को बधाई।