देश में पाॅलिटिकल मैनेजमेंट का नया फार्मूला गढ़ने वाले प्रशांत किशोर का बिहार पाॅलिटिक्स फेल हो गया है। वे जबतक मैनेजर की भूमिका में रहे तक तक उनकी छवि बची रही। पर, जब पाॅलिटिक्स करने लगे तो विवादों में घिर गये।
पीके अब जद-यू में नहीं हैं। उनको पवन वर्मा के साथ बर्खास्त कर दिया गया है। फरवरी के दूसरे सप्ताह में वे बिहार आकर नया पाॅलिटकल मैनेजमेंट की घोषणा कर सकते हैं। फिलहाल, वे दिल्ली में आप के चुनाव वार-रूम में हैं। आप का राजनीतिक प्रबंधन व रणनीति देख रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनको लेकर हाल के दिनों में उहापोह की स्थिति में आ गये थे। कभी सीएए और एनआरसी के खिलाफ तीखी टिपण्णी तो कभी उपमुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ कमेंट से नीतीश कुमार असहज होते जा रहे थे। जब मामला दिल्ली विधान सभा चुनाव का आया तो नीतीश कुमार के सामने कई सवाल खड़े हो गये। प्रथम तो उनका नेशनल वाईस प्रेसिडेंट ही भाजपा-जद-यू गठबंधन के खिलाफ एक दिग्गज रणनीतिकार और प्रबंधक के रूप मे खड़ा था। दूसरे प्रशांत लागातार भाजपा व उसकी नीतियों के खिलाफ जहर उगले जा रहे थे। नतीजा, नीतीश कुमार को फैसला करना पड़ा।
पिछले चुनाव लालू-नीतीश मिलन में बड़ी भूमिका थी पीके कीे
बहरहाल, सूत्र कहते हैं कि बिहार में वे आगामी विधानसभा चुनाव कांग्रेस गठबंधन के लिए कार्य कर सकते हैं। राजनीतिक सूत्र कहते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में प्रशांत ही लालू-नीतीश का मिलन करवाये थे। जद-यू के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अपनी राजनीतिक दुकानदारी चलाने के लिए ही उन्होंने एनआरसी के खिलाफ सत्तारूढ़ दल में बड़ा ओहदा संभालने के बाद भी बोलना बंद नहीं किया। अब फरवरी के दूसरे सप्ताह की प्रतीक्षा है कि अगला पत्ता वे क्या खेलेंगे।