नयी दिल्ली : संसद में कृषि कानून वापसी बिल पास होते ही आंदोलन वापसी के मुद्दे पर किसान संगठन दोफाड़ हो गए। देश की आम जनता और किसान इन संगठनों पर आंदोलन को खत्म करने का दवाब बना रहे, वहीं कुछ किसान नेता अपनी बात पर अड़े हुए रहना चाहते। संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल हरियाणा और पंजाब के किसान जहां इस आंदोलन को अब रोकने के पक्ष में दिख रहे हैं तो वहीं टिकैत ग्रुप इसे अभी खत्म करने के मूड में नहीं दिख रहा।
जानकारी के अनुसार सिंघु बॉडर पर मौजूद कुछ संगठन अब आंदोलन खत्म करने की बात कर रहे हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इसका संकेत अपने बयान में दिया। उन्होंने कहा था कि वे कुछ किसान संगठनों के लोगों से संपर्क में हैं। इस मामले पर चार दिसंबर तक फैसला हो सकता है।
इधर टिकैत अभी भी अड़़े हुए हैं और एमएसपी के साथ-साथ बाकी बचे मुद्दों के समाधान तक आंदोलन को खत्म नहीं करना चाहते। उधर संयुक्त किसान मोर्चा जिसमें 40 से अधिक कृषि संगठन शामिल हैं, उसने कानूनों की वापसी पर कहा कि यह निरसन उसके साल भर के आंदोलन की सफलता का प्रमाण है। साफ है कि मोर्चा में शामिल कुछ किसान संगठन टिकैत से अलग मूड रख रहे हैं। हालांकि इन संगठनों ने बाकी मांगों को भी मानने की मांग की है, लेकिन वे फिलहाल आंदोलन को जारी नहीं रखना चाहते।