एक्जिट पोल से दुखी लोग दुआ करने में लगे

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चुनाव प्रचार, मतदान, एक्जिट पोल और परिणाम से पहले के दो दिन दुआ-प्रार्थना में बीतेंगे। प्रधानमंत्री मोदी को बहुमत दिलाने वाले एक्जिट पोल लगभग सही साबित होंगे, इसका संकेत शेयर बाजार दे रहा है। सोमवार, 20 मई 2019 को एक दिन के कारोबार में BSE ने 1421.90 अंकों, यानी 3.75 फीसद की तेजी के साथ 6 साल का रिकार्ड तोड़ा, तो निफ्टी में 10 साल बाद इतनी तेजी रिकार्ड की गई।


मोदी सरकार की वापसी के संकेत भारतीय अर्थव्यवस्था को खुश करने वाले हैं, तो पाकिस्तान और उसके हमदर्द हिंदुस्तानियों को मायूस करने वाले। बिहार में महागठबंधन खेमा उदास है। वहां दुआ की जा रही है कि एक्जिट पोल के नतीजे गलत ही नहीं, बल्कि उल्टे साबित हों। एनडीए खेमे में प्रार्थना चल रही है कि परिणाम और भी अच्छे हों।
कहीं देश को कमजोर सरकार दिलाने की दुआ,कहीं प्रचंड बहुमत के साथ वापसी की साध। कुछ लोग मानते हैं कि विरोधी भी संसद में आयें लेकिन उनका संख्या बल निर्वाचित सरकार के काम में कदम-कदम पर अड़ंगेबाजी करने लायक न हो। मोदी को वैसा अपोजीशन मिले, जैसा नेहरू को मिला था।
एक तर्क यह है कि ज्यादा मजबूत विरोधी विकास में बाधक होते हैं और लोकतंत्र को इतना अनुत्पादक बना देते हैं कि सरकार काम ही नहीं कर पाती।
बिहार की पहली एनडीए सरकार और वर्तमान केंद्र सरकार अगर कुछ ठोस काम कर पायी, तो इसीलिए कि दोनों के लिए जनता ने कमजोर विरोधी दल की परिस्थिति प्रदान की।
एक कमजोर विरोधी दल ने तो राफेल खरीदने से लेकर तीन तलाक पर रोक जैसे फैसले पर पीएम मोदी को नाको चने चबवा दिये, इसलिए मजबूत अपोजीशन की तारीफ में कही गई बातें व्यावहारिक रूप से हितकर नहीं। मतदाता गैरजिम्मेदार विरोध को दंडित करना भी जानता है।

swatva

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