CM बनने को हड़बड़ाए तेजस्वी के मंसूबों पर ग्रहण, AIMIM विधायकों को JDU से निमंत्रण !

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पटना : ओवैसी की पार्टी AIMIM के विधायक कथित तौर पर तो राजद में शामिल हो गए हैं, लेकिन वैधानिक रूप से वो लोग अभी भी राजद के सदस्य नहीं हो पाए हैं। क्योंकि, इन लोगों के राजद में शामिल होने की मान्यता विधानसभा से अभी तक नहीं मिली है। ऐसे में मुख्यमंत्री बनने और बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनने को उतावले तेजस्वी यादव सांसत में पड़ गए हैं।

AIMIM के चार विधायक राजद में शामिल

दरअसल, बिहार विधानसभा मानसून सत्र के चौथे दिन बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत हासिल करने वाली ओबीसी की पार्टी AIMIM के चार विधायक अपना पाला बदल लिए और राजद में शामिल हो गए। जिसके बाद इन चारों विधायकों को लेकर तेजस्वी खुद कार चलाकर सदन पहुंचे। जिसके बाद वो बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के कमरे में गए लेकिन, उस दौरान विजय कुमार सिन्हा विधानसभा में मौजूद नहीं थे, जिसके बाद तेजस्वी उनके कमरे में वापस लौट आए और अगले दिन का इंतजार करने लगे।

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मानसून सत्र में बड़ी पार्टी नहीं बन पाई राजद

इसके उपरांत तेजस्वी और ओबीसी की पार्टी का साथ छोड़ कर राजद में आए विधायक पांचवें दिन सदन आए और विधानसभा अध्यक्ष को ढूंढते हुए नजर आए लेकिन, इस दिन भी विस अध्यक्ष पहली पाली में सदन में नजर नहीं आए, जिसके वे सभी विधायक सदन के नेता विपक्ष के कमरे में बैठ विस अध्यक्ष का इंतजार करते हुए नजर आए। इसके उपरांत जब भोजन अवकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरू हुई और विस अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा सदन में नजर आए।

वहीं, सदन में विस अध्यक्ष के आने के बाद नेता विपक्ष अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन इस दौरान उनके अन्य सहयोगी दल हंगामा करने लगे इस कारण विस अध्यक्ष ने नेता विपक्ष को अनसुना कर दिया, जिसके बाद गुस्से से नेता विपक्ष सदन का बहिष्कार कर वापस निकल गए और वह विधानसभा में कहीं भी नजर नहीं आए और उसके बाद बिना विपक्ष के सदन चले और अंतिम दिन होने के वजह से विश्व अध्यक्ष ने सदन को भी अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया।

जदयू के तरफ से भी उपहार

इधर, बिहार के राजनीतिक जानकारों की माने तो यह पूरा मामला एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। ऐसा कहा जा रहा है कि कि राजद में शामिल हुए ओबीसी के इन विधायकों को जदयू के तरफ से भी उपहार मिलने लगा है, इन विधायकों को जदयू के तरफ से मंत्री पद का उपहार मिला है, इस कारण से भी इन लोगों को अबतक वैधानिक रूप से राजद की सदस्यता नहीं मिली है क्योंकि यदि ये लोग राजद में वैधानिक रूप से शामिल करा लिए जाते तो जदयू के लिए थोड़ी मुश्किल और बढ़ जाती है।

वहीं,खुद को बिहार में सबसे बड़ी पार्टी घोषित कर मानसून सत्र के अंतिम दिन अलग से सदन चला कर खुद को मुख्यमंत्री बनाने वाले तेजस्वी यादव को जब इस बात की भनक लगी तो वो सासत में पड़ गए हैं,उन्हें यह मालूम ही नहीं चल रहा है कि इतने दिनों की उनकी मेहनत पर आखिर यूं पानी कैसे फिर सकता है, इसी कारण वह इन विधायकों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।

बहरहाल, देखना यह है कि क्या सही मायने में जदयू इन विधायकों को तोड़ लेती है या फिर यह सिर्फ और सिर्फ तेजस्वी को डराने की रणनीति है। क्योंकि, जदयू यदि इन विधायकों को नहीं थोड़ पाती है तो फिर राजद बिहार में सबसे पार्टी बन जाएगी। उसके पास विधायकों की कुल संख्या 80 हो जाएगी ऐसे में अपने सहयोगी दलों का समर्थन ले कर और कुछ अन्य दलों को तोड़ कर तेजस्वी सरकार की कुर्सी हासिल कर सकते हैं। हालंकि, यह इतना भी आसान नहीं होने वाला है।

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