स्वतंत्रता को अमृत तुल्य बनाती है शिक्षा : केशवानंद

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बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ में झंडोत्तोलन के बाद राष्ट्रगान

पटना : बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ परिसर में सोमवार को हर्षोल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया गया। इस अवसर पर प्रातः 9 बजे विद्यापीठ के सचिव महंत कमल नारायण दास ने तिरंगे का ध्वजारोहण किया और झंडे को सलामी दी।

बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ में धूमधाम से मना 75वां अमृत महोत्सव

इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष सह कुलपति स्वामी केशवानंद जी ने लंदन वर्चुअली समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में पूरा भारत पुलकित है। हमारे ऋषियों ने ज्ञान को अमृत तुल्य माना है और बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ ज्ञान व शिक्षा से जुड़ी संस्था है। इसलिए, हम नई पीढ़ी को शिक्षा रूपी अमृत से परिपूर्ण करें। यही प्रण आज लेना चाहिए। शिक्षा के बल पर ही हम स्वतंत्रता के मौलिक मर्म को समझ सकते हैं और एक गरिमापूर्ण जीवन जी सकते हैं। साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के आधार हम राष्ट्र निर्माण में भी अपना योगदान दे सकते हैं। क्योंकि, शिक्षा ही हमारी स्वतंत्रता को अमृत तुल्य बनाती है।

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भारत की शक्ति उसके नागरिकों के पुरुषार्थ में समाहित

वहीँ, चिति, बिहार के संयोजक कृष्णकांत ओझा ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव पर यह प्रण लेना है कि भारत की शक्ति उसके नागरिकों के पुरुषार्थ में समाहित है। उसे जागृत करना ही असल देश सेवा होगी। समारोह में उपस्थित बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के सचिव महंत कमल नारायण दास जी ने कहा कि भारतवर्ष की असली शक्ति अध्यात्म है। 21वीं सदी में भारत का डंका संपूर्ण विश्व में बज रहा है। तो, इसके पीछे भारत के ऋषि-मुनियों का त्याग व समर्पण है।

अमृत काल का मार्ग गीता से ही प्रशस्त होगा


बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ परिसर में झंडोत्तोलन करते सचिव महंत कमल नारायण दास

इसके साथ ही जाने-माने शल्य चिकित्सक व संस्था के उप सचिव डाॅ. सुरेंद्र राय ने भगवद्गीता का महत्व रेखांकित करते हुए युवाओं के चरित्र निर्माण पर बल दिया और कहा कि देश में अमृत काल का मार्ग गीता से ही प्रशस्त होगा। विद्यापीठ की सदस्य स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. शीला शर्मा ने स्वतंत्रता संग्राम की त्रासदियों को याद करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी को यह जानना अति आवश्यक है कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने कितनी यातनाएं सहीं। अपने प्राणों की आहूतियां दीं। तब जाकर हमें यह आजादी हासिल हुई है। यह आसानी से नहीं मिली है। हमें इसका ऋणी होना चाहिए। स्वतंत्रता सेनानी की पौत्री व पुत्री होना उनके लिए गौरव की बात है।

आजादी को अपने व्यवहार में उतारना ही अमृत महोत्सव

वयोवृद्ध शिक्षक गिरिजा शंकर शर्मा ने आजादी के महत्व को कविताओं के माध्यम से साझा किया और कहा कि आजादी को हृदय से महसूस करना और उसको अपने व्यवहार में उतारना ही अमृत महोत्सव का सही सम्मान होगा। पटना विवि में जनसंचार के शिक्षक प्रशांत रंजन ने मंच संचालन किया और संस्था के सदस्य श्यामनंदन प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर गीतकार डाॅ. प्रणव पराग, शिक्षाविद् गुणानंद सदा, पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मनोज पांडेय, ब्रजेश कुमार, राम विनोद कुमार प्रसाद, राजदेव सिंह समेत कई शिक्षक, चिकित्सक, समाजसेवी, बुद्धिजीवी, विद्यार्थी उपस्थित थे।

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