पटना : राजधानी पटना दुर्गापूजा के लिए मशहूर है। लेकिन इसबार पटना के लोगों के लिए दुर्गापूजा फिकी—फिकी है। बारिश और जलजमाव ने सार मजा ही किरकिरा कर दिया है। सड़कों पर नवरात्री के दिन आम दशहरे से करीब 40 प्रतिशत कम लोग विभिन्न पंडालों के दर्शन के लिए निकले। अलग-अलग पंडालों में माता के दर्शन का उत्साह भी इसबार काफी कम दिख रहा। राजेंद्र नगर, कंकड़बाग, बहादुरपुर, पाटलिपुत्र, राजीव नगर, सरिस्ताबाद सहित दर्जनों मुहल्लों को जलजमाव से अब भी राहत नहीं मिल सकी है। जहां जमजमाव कम हुआ है, वहां लोग कीचड़ व गंदगी साफ करें या त्योहार पर घूमने लिकलें।
फिर भी, नवरात्र के नौवे दिन सोमवार को मां दुर्गा के दर्शन के लिए पटना उन इलाकों में, जहां जलजमाव नहीं था, वहां पूजा पंडालों में श्रद्धालु पहुंचे। हालांकि वहां भी लोगों की संख्या कुछ कम ही रही। पुलिस-प्रशासन के साथ-साथ पूजा समितियाें ने भी विशेष व्यशवस्था् की थी। अब महानवमी के हवन-पूजा के बाद अब मंगलवार को रावण वध का इंतजार है। मंगलवार से प्रतिमाओं का विसर्जन भी शुरू हो जाएगा।
राजधानी पटना में घटी पंडालों की संख्या
पटना नगर क्षेत्र में इस वर्ष 1200 के लगभग पूजा पंडाल बनाए गए हैं। यह संख्या पिछले वर्ष से करीब 800 कम है। पिछले वर्ष पटना में 2000 से भी अधिक छोटे—बड़े पंडाल बने थे। पटना का हृदय कहे जाने वाले डाकबंगला चौराहा पर श्रद्धालुओं का आज तांता लगा दिखा। वहां मैसूर के प्रसिद्ध श्रीकांतेश्वर महादेव मंदिर के स्वरूप में निर्मित भव्य पंडाल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। उधर, मछुआटोली में स्थापित मां दुर्गा की 12 दिव्य प्रतिमाएं हों या बेली रोड स्थित शेखपुरा दुर्गाश्रम में फूलों का पंडाल, सभी ध्यान तो खींच रहे थे लेकिन लोगों के दिलों में बारिश और जलजमाव की कसक भी टीस दे रही थी। कदमकुआं चूड़ी मार्केट के पास बने पंडाल में कंबोडिया का बुद्ध मंदिर जीवंत हो गया तो डोमनभगत लेन में मथुरा के बरसाने का मंदिर दिखा। बोरिंग रोड चौराहा पर वेलूर मठ के स्वरूप में बना पंडाल भी भव्यता लिये हुए था।