लखनऊ : यूपी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात मानी और अपने लिए योगी को ही उपयोगी माना। जनता जनार्दन ने न सिर्फ केंद्र और राज्य में एक सरकार वाले डबल इंजन कनसेप्ट को हाथोंहाथ लिया, बल्कि यूपी सरकार के कामों पर भी मुहर लगाई। कुल मिलाकर कानून व्यवस्था, बुल्डोजर, विकास और मुफ्त राशन की डबल डोज ने यूपी का मन मोह लिया। इसमें बेटियों की सुरक्षा ने रही सही कसर पूरी कर दी। नतीजा, आधी आबादी ने अपने ही घर के पुरुषों से अलग वोट डालने में तनिक भी संकोच न किया। भाजपा के यूपी फतह को हम इन्हीं फैक्टर्स के इर्द—गिर्द देख सकते हैं।
कानून का शासन और महिला सुरक्षा
बीजेपी की जीत का बड़ा कारण योगी सरकार की कानून व्यवस्था मानी जा रही है। महिला सुरक्षा पर भाजपा सरकार ने काफी काम किया और मनचलों को सबक सिखाया। यूपी की बहनें इसे नहीं भूलीं और मतदान के दिन अपने घरवालों से इतर होकर भी चुपचाप भाजपाई डबल डोज के प्रति भरोसा जताया। खासकर ग्रामीण इलाकों से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं जिन्होंने खुलेआम अपने दर्द और दिल की बात को वोट में बयां किया। जबकि 2017 से पहले एक खास जाति के लोग महिलाओं को डराते थे, धमकाते थे और जमीनों पर कब्जा तक कर लेते थे। तब पुलिस भी उनकी नहीं सुनती थी। लेकिन अब योगी राज में ऐसा नहीं रहा। इसके अलावा भाजपा ने आतंकियों के प्रति समाजवादी पार्टी की संवेदना उजागर कर अपने राष्ट्रवादी एजेंडे को सही ठहराया। साफ है कि दंगाइयों तथा गुंडों—माफियाओं के वर्चस्व पर चोट कर भाजपा खुद को कानून व्यवस्था के मोर्चे पर बेहतर साबित करने में सफल रही।
माफियाओं में बुलडोजर का आतंक
यूपी के तीव्र विकास पर जब मोदी—योगी ने मंथन किया तब एक बात निकलकर सामने आई कि जबतक सत्ता संरक्षित माफियाओं पर अंकुश नहीं लगेगी, प्रदेश में डेवलप की राह अटकी ही रहेगी। योगी ने इसकी काट बुलडोजर में निकाला और शीघ्र ही विकास की राह में रोड़ा बनने वालों में बुलडोजर का खौफ कायम कर दिया। पूरे यूपी में अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाया गया। चुनाव प्रचार में भी योगी ने इसे जारी रखने की बात कही। लेकिन अखिलेश समेत तमाम विपक्षी दल उनपर हमलावर हो गए। मगर भाजपा और योगी आदित्यनाथ को अपने बुलडोजर एक्शन पर भरोसा था। वे इसे सही बताते हुए जनसमर्थन हासिल करने पर डटे रहे। यहां तक कि मुख्यमंत्री की चुनावी सभाओं में प्रत्याशियों व उनके समर्थकों की ओर से मंच के बगल में बुलडोजर खड़ा करवाया जाने लगा। मुख्यमंत्री इस दृश्य को देखकर काफी खुश भी होते थे।
राम मंदिर और विकास का एक्सप्रेस वे
यूपी में भाजपा की प्रचंड जीत का एक और बड़ा कारण रहा विकास के मोर्चे पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किये काम। मोदी—योगी की डबल इंजन सरकार ने हाईवे और लिंक रोड नेटवर्क से यूपी में विकास की गंगा बहाने का विजन रखा। इस सरकार में एक्सप्रेस-वे, हाईवे और लिंक रोड पर काफी काम किया गया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देशभर में एक्सप्रेस-वे और सड़कों के जाल से विकास को कनेक्ट किया है। यूपी की सड़कें भी काफी खराब थीं। मगर योगी सरकार ने गांव-गांव की सड़कों को दुरुस्त किया। उधर एक्सप्रेस वे से इन ग्रामीण सड़कों को लिंक सड़क द्वारा जोड़ा भी गया। इस फैक्टर के कारण लोगों का समय और पैसा दोनों बचा। इस प्रकार प्रदेश में विकास चौतरफा दिखने लगा। चुनावों में राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, कुशीनगर एयरपोर्ट, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे आदि ने लोगों के जेहन में घर कर लिया था।
फ्री राशन से आवारा पशुओं की भरपाई
भाजपा की डबल इंजन सरकार ने कोरोना काल में गरीबों को मुफ्त राशन पर बड़ा काम किया और बढ़चढ़ कर लोगों की मदद की। चुनाव प्रचार में भी भाजपा ने लोगों को इसकी याद दिलाई। खासतौर पर पूर्वांचल, बुंदेलखंड और अवध के आखिरी चार चरणों के चुनाव में इसका काफी असर हुआ। योगी सरकार ने कोरोना काल में गरीबों को फ्री राशन बांटने की योजना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। खुद सीएम योगी जिलों में घूम—घूमकर इसकी मॉनिटरिंग करते रहे। ये राशन महीने में 2 बार दिये जाते हैं। बाद में तेल, नमक बांटने का काम भी किया गया। इस प्रकार चुनाव के वक्त जनता के बीच अवारा पशुओं का मुद्दा कमजोर पड़ गया और फ्री राशन ने बीजेपी की राह आसान कर दी।
सपा समेत विपक्षी दलों की खामियां
यदि हम विपक्ष की नाकामियों को चुनाव परिणामों के आइने में देखें तो पाते हैं कि अखिलेश यादव परिवारवाद के ठप्पे से बेचैन रहे, जबकि मायावती की उदासीनता ने बसपा का वोट बैंक बिखेर दिया। पीएम मोदी ने भी चुनावी सभाओं में परिवारवाद का मुद्दा काफी आगे रखा और कहा कि ये परिवारवादी कभी यूपी का भला नहीं कर सकते। ये सिर्फ अपना और अपने परिवार का ही फायदा सोचेंगे। इन बातों ने सपा के साथ ही कांग्रेस को भी मुंछ छिपाने पर बाध्य कर दिया। दूसरी तरफ भाजपा का कैडर अपने मूलभूत हिंदुत्व ऐजेंडे को भी मतदाताओं तक ले जाने में लगा रहा। बीजेपी के साथ एक प्लस प्वाइंट यह भी रहा कि जनता के बीच योगी आदित्यनाथ की छवि को लेकर कोई रोष नहीं था। लोग कुछ मुद्दों पर नाराज जरूर थे मगर योगी आदित्यनाथ की छवि पर कोई खास गुस्सा नहीं था। कुलमिलाकर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा वोटरों को अपना विजन और एजेंडा समझाने और उसे साबित करने में सफल रही।