डॉ. शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव आज के राष्ट्रवादी आंदोलन के मजबूत आधार: राज्यपाल

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पटना: विश्व हिन्दी दिवस के प्रणेता डॉ. शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव की 87वीं जयंती आज 25 मार्च शनिवार को बिहार विधान परिषद सभागार में मनाई गई। इस मौके पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने डॉ. श्रीवास्तव की शख्सियत एवं उनके योगदान की विशद चर्चा की। महामहिम ने कहा कि 16 वर्षों तक संस्कार भारती का अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने देश-विदेश में भारतीय संस्कृति और संस्कारों का जो ताना-बाना बुना वह आज पूरे भारत में मौजूदा समय के राष्ट्रवादी आंदोलन का आधार बना है। उनकी विद्वता, सृजनात्मकता और उसके साथ ही उनकी सादगी और सरलता हम सबके लिए बड़ी प्रेरणा रही है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे

जयंती समारोह में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर बोलते हुए कहा कि डॉ श्रीवास्तव की पैठ सभी वर्गों में रही। खासकर युवाओं को आकर्षित और प्रोेत्साहित करने की उनमें अद्भुत क्षमता थी। युवा उनकी तरफ खिंचे चले आते थे और उन्हें अपना आदर्श मानने लगे थे। यही कारण रहा कि जयप्रकाश नारायण ने 1974 के समग्र क्रांति आंदोलन के दौरान डॉ. श्रीवास्तव को युवाओं के मार्गदर्शन का नेतृत्व सौंपा था। श्री चौबे ने आपातकाल के दिनों में डॉ. श्रीवास्तव की जेल यात्रा का जिक्र कर कहा कि शिक्षण से जुड़े होने के कारण वे बिहार भर के छात्रों के बीच संघर्ष की मूर्ति बन गए थे।

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पूर्व सांसद आरके सिन्हा

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सांसद आरके सिन्हा ने हिन्दी भाष को बढ़ाने में डॉ. श्रीवास्तव के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि वे एक आदर्श राष्ट्रवादी थे। उनका जीवन ‘हिंदी, हिंदू और हिन्दुस्तान’ के लिए समर्पित था। यह डॉ. श्रीवास्तव ही थे जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ हिंदी विषय को चुन लिया और राष्ट्रभाषा के प्रसार प्रचार को अपने जीवन का मुख्य ध्येय बना लिया। उनके इसी समर्पण और योगदान के कारण भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा। इस जयंती कार्यक्रम में आयोजक के रूप में उनके पुत्र परिजात सौरभ के अलावा भाजपा की पूर्व उपाध्यक्ष किरण घई, मुख्य वक्ता मक्खन लाल और अभिजित कश्यप ने भी डॉ. श्रीवास्तव के व्यक्तित्व पर अहम विचार रखे।

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