RCP के वापस होने पर संशय, मौके का लाभ उठा सकते हैं अध्यक्ष, अंतिम फैसला किसका ?
पटना : बिहार की पांच सीटों के लिए जल्द ही राज्यसभा का चुनाव होना है। इसको लेकर तिथि का निर्धारण हो गया है। वहीं, इस एलान के बाद राज्य के सभी दलों के राजनीतिक दलों में उम्मीदवार को लेकर खींचतान शुरू हो गई है।
दरअसल,जदयू कोट से जून महीने में वर्तमान के राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह की सदस्यता समाप्त हो रही है। इसके साथ ही जदयू कोट से खाली हुई किंग महेंद्र की सीट पर उम्मीदवार का ऐलान हो गया है,लेकिन इस बीच सबसे अधिक संशय इस बात को लेकर लगी हुई है कि क्या जदयू वापस से आरसीपी सिंह को राज्यसभा भेज रही है या नहीं।
मंत्री का जवाब
वहीं, आज जब इस सवाल को लेकर जदयू नेता आरसीपी सिंह के पास पत्रकारों की टोली पहुंची तो उन्होंने इसका जवाब बड़े ही गोलमोल शब्दों में देते दिखें। इतना ही नहीं आरसीपी इस सवाल पर झल्लाते हुए कहा कि यह कहने की चीज है क्या, मुझे क्या मालूम पार्टी मुझे वापस कर रही है या नहीं। वहीं, जब उनसे यह सवाल किया गया कि क्या इस बात को लेकर उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष या फिर सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार से कोई बातचीत हुई है तो उन्होंने बड़े ही बेरुखी से कहा इससे आपको क्या लेना देना है।
ये नहीं है आरसीपी का अंदाज
वहीं, उनके इस जवाब को लेकर जदयू की राजनीति पर विशेष नजर रखने वालें वरिष्ठ जानकारों की मानें तो आरसीपी को लेकर जदयू के तरफ से मुहर वापस से लगती हुई नहीं दिख रही है, यहीं कारण है कि केंद्रीय मंत्री ने गुस्से से सवालों का जवाब दिया वरना यदि उनको यह मालूम होता कि पार्टी उनको ही वापस कर रही है तो फिर इतनी बेरुखी से जवाब ही नहीं आता, क्योंकि वह हमेशा से बड़े ही सौम्य अंदाज में जवाब देते रहें हैं।
इस बात की चर्चा जोरों पर
वहीं,इस बात की भी चर्चा जेडीयू अंदरखाने में है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब बदला लेने के मूड में आ गए हैं और वह इसको बहुत बड़ा मौका मान कर चल रहे हैं, क्योंकि, बताया यह जाता है कि जब वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी के अंदर कोई बड़े पद पर नहीं थे तो आरसीपी के इशारों पर उनका नाम मोदी कैबिनेट से हटवाकर सिर्फ अपना नाम को आगे बढ़ाया गया था।
इसके बाद अब वर्तमान के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बदला लेने के मूड में आ गए हैं क्योंकि, वो आरसीपी को वापस नहीं करते हैं तो इनका मंत्री पद जाने का भी खतरा मंडराते रहेगा या फिर इनको भाजपा के कदमों में झुकना होगा। हालांकि, एक गुट का यह भी कहना है कि अभी पार्टी के अंदर नीतीश कुमार का ही सबकुछ चलता है, वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष बस सिर्फ हस्ताक्षर करने को है निर्णय लेने को लेकर नहीं, इन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर पार्टी का परफॉर्मेंस में कोई सुधार होता नजर नहीं आया है, उल्टा पार्टी ने अपनी सीट का नुकसान ही उठना पड़ा है।
बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि जदयू राज्यसभा में खाली हुए सीटों पर कबतक उम्मीदवारों की घोषणा करती है और नीतिश कुमार के साथ ही साथ ललन सिंह का क्या फैसला होता है।