Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured देश-विदेश

दोगुना हुआ चुनाव खर्च, इस बार 60 हजार करोड़ हुए व्यय

नयी दिल्ली : हाल में संपन्न हुआ चुनाव अब तक का सबसे महंगा चुनाव रहा। सात चरणों में 75 दिनों तक चले इस चुनाव में 60,000 करोड़ रुपये के खर्च होने का अनुमान है। 2014 के चुनावों में 30,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे जो अब पांच वर्ष बाद दोगुना हो गया है।

सीएमएस का अनुमान, प्रति वोटर 7

चुनाव खर्च का यह अनुमान सेंटर फार मीडिया स्टडीज (सीएमएस) ने लगाया है। सीएमएस ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में बताया कि 542 लोकसभा सीटों पर हुए चुनावों में करीबन 100 करोड़ रुपये प्रति संसदीय सीट खर्च हुए हैं। यदि वोटर के हिसाब से देखा जाए तो यह 700 रुपये प्रति वोटर यह खर्च आएगा। इन चुनावों में लगभग 90 करोड़ वैध वोटर थे। सीएमएस ने अनुमान लगाया है कि इन चुनावों में 12 से 15000 करोड़ रुपये सीधे वोटरों में वितरित किए गए। दक्षिण के राज्यों आंध्र, तेलंगना में वोटरों को दो दो हजार रुपये तक रिश्वत के तौर पर दिए गए। राजनैतिक दलों ने चुनाव प्रचार में 20 से 25 हजार करोड़ रुपये खर्च किए। वहीं चुनाव आयोग ने इन चुनावों में 10 से 12000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वहीं 6000 करोड़ रुपये अन्य मदों में खर्च हुए हैं।

यह महज अनुमान, वास्तविकता और ज्यादा

चुनाव खर्च का यह अनुमान भर है। चुनाव लड़ने वाले विभिन्न दलों और प्रत्याशियों को अभी अपने चुनाव खर्च का हिसाब राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग को देना है। चुनाव होने के 90 दिनों के अंदर चुनाव खर्च का ब्योरा आयोग को देना है। हालांकि आयोग को दिया जाने वाला खर्च का यह हिसाब कागजों पर हुआ खर्च होगा, वास्तविक नहीं। इस मौके पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि यदि राजनीति के अपराधीकरण और पैसे के जोर को नहीं रोका गया तो हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि अगला चुनाव निष्पक्षता तथा पारदर्शिता के मामले में 2019 के चुनावों से बेहतर होगा।