रांची : कोरोना वायरस ने मानव जीवन की दशा और दिशा दोनों ही बदल दी है। डर और भय का ऐसा माहौल उत्पन्न हो गया है कि लोग एक दूसरे से डरने लगे है। शंका की दृष्टि से देखने लगे। ऐसे में इंसानियत भी तार-तार हो गई है। हालात इस कदर खराब हुए की लोग मरने के बाद भी हंगामा करने लगे। इसी तरह का एक वाकया झारखंड की राजधानी रांची में देखने को मिला।
हुआ यूं कि रांची के हिंदपीढ़ी निवासी कोरोना संक्रमित 60 वर्षीय बुजुर्ग का शव दफनाने को लेकर रविवार को दिनभर हंगामा हुआ। शहर का कई जगहों पर परिक्रमा करने के बाद इस शख्स को दो गज जमीन नसीब हुई।
दरअसल रविवार की सुबह करीब आठ बजे बुजुर्ग की मौत हुई थी। देर रात करीब 01:15 बजे हिंदपीढ़ी के बच्चा कब्रिस्तान में शव को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इससे पहले शव पूरे दिन रिम्स परिसर के एंबुलेंस पर पड़ा रहा। सुबह से ही शव को दफनाए जाने की प्रक्रिया चलती रही। नजारा इतना शर्मनाक था की प्रशासन कब्र खोदवाता रहा और विरोध के चलते शव को दफनाने का कार्य टलता रहा। आखिरकार बरियातू, रातू रोड और जुमार पुल के करीब के बाद शव को चौथे कब्र में दो गज जमीन नसीब हुई।
रिपोर्ट के मुताबिक मृतक के लिए बरियातू स्थित कब्रिस्तान में कब्र खोदी गई। वहां कब्रिस्तान को छोटा बताकर रातू रोड कब्रिस्तान में दफनाने का फैसला किया गया। इधर, रातू रोड कब्रिस्तान के पास रहने वाले कुछ स्थानीय लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। वहां भी कब्र खोदी जा चुकी थी। पूरे दिन अलग-अलग कब्रिस्तान के आसपास हंगामे और विरोध होते रहे। देर रात पुलिस ने शव को जुमार पुल के पास भी दफनाने का प्रयास किया लेकिन वहां भी विरोध के कारण उसे लौटना पड़ा। इसके बाद हिंदपीढ़ी स्थित बच्चा कब्रिस्तान में मृतक को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। मृतक वहीं का रहने वाले था। प्रशासन ने इस कब्रिस्तान का चुनाव आखिरी विकल्प के रूप में किया। हिंदपीढ़ी के लोग आगे आए और शव को दफनाने पर सहमति दी।