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कांग्रेस से दूरी लेकिन KCR मजबूरी, दोतरफा न्योते के बीच डोलते नीतीश

नयी दिल्ली/पटना : मिशन 2024 को लेकर विपक्षी एकता पर नीतीश कुमार का स्टैंड अब क्लियर है। इसके अनुसार जहां उन्होंने राहुल गांधी की कांग्रेस से दूरी बनानी शरू कर दी है, वहीं तेलंगाना में विपक्ष के हालिया पहले बड़े जुटान में नहीं पूछे जाने के बावजूद उन्होंने केसीआर द्वारा अपने दूसरे बड़े जुटान के लिए मिले न्योते को सहर्ष स्वीकार किया है। हालांकि नीतीश ने स्वयं तो केसीआर के इस दूसरे इवेंट में जाने में असमर्थता जाताई, लेकिन अपने नंबर 2 ललन सिंह को तेजस्वी के साथ वहां भेजने का ऐलान किया है।

थर्ड फ्रंट में अहम भूमिका तलाश रहे नीतीश

भाजपा के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी भूमिका तलाश रहे नीतीश ने अब विपक्षी एकता को लेकर सधा हुआ कदम उठाने की रणनीति अपनाई है। राहुल गांधी की यात्रा के समापन में शामिल होने के लिए मिले न्योते पर नीतीश की पार्टी ने कहा कि चूंकि यह कांग्रेस का अपना प्रोग्राम है, इसलिए पार्टी इससे दूर ही रहेगी। जदयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस का प्रोग्राम है। यह समाज में नफरत के विरुद्ध कांग्रेस की एक सफल कोशिश है। लेकिन इसे विपक्ष की एकजुटता से नहीं जोड़ना चाहिए।

राहुल गांधी के नामपर विपक्ष एकमत नहीं

केसी त्यागी ने साफ कहा कि जदयू कांग्रेस की पिकअप और चूज की रणनीति से असहमत है। बिना ममता, केसीआर, केजरीवाल, नवीन पटनायक के कैसे संपूर्ण विपक्ष की एकता हो सकती है? विपक्ष की एकता का प्रयास नीतीश कुमार के नेतृत्व में पहले से चल रहा है। बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का कारगर फार्मूला नीतीश कुमार का ही है।

केसीआर के न्योते में अवसर की उम्मीद

उधर तेलंगाना में सीएम केसीआर 17 फरवरी को राज्य के नए सचिवालय के उद्घाटन के मौके पर एकबार फिर विपक्ष का बड़ा जुटान कराने की तैयारी में हैं। इसमें उन्होंने नीतीश कुमार को भी न्योता भेजा है। हालांकि नीतीश कुमार ने व्यवस्तता का हवाला देकर आने में असमर्थता तो जताई, लेकिन जदयू अध्यक्ष ललन सिंह को भेजने की बात कही है। जाहिर है कि नीतीश इसे थर्ड फ्रंट में अपने लिए किसी महत्वपूर्ण भूमिका के एक अवसर के तौर पर देख रहे हैं। केसीआर के बुलावे पर जदयू का शामिल होना ये इशारा भी करता है कि नीतीश जरूरत पड़ने पर विपक्ष के थर्ड फ्रंट और कांग्रेस के बीच एक ब्रिज का भी काम कर सकते हैं।