ढीली हुई महागठबंधन की गांठ? मेनिफेस्टो में 10% देकर राजद क्यों पलटा?

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पटना : सवर्ण आरक्षण की सियासी गुगली ने बिहार में महागठबंधन की नाव को भंवर में डाल दिया है। जहां लालू प्रसाद का राजद इसके साफ विरोध में खड़ा है, वहीं कांग्रेस, मांझी और कुशवाहा इसके पक्ष में गोलबंद हो गए हैं। ऐसे में इनका मुख्य एजेंडा—’भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ काफी पीछे छूट गया है। साफ है कि अब महागठबंधन में सीट एडजस्टमेंट नहीं, बल्कि असल पेंज राजद और कांग्रेस समेत अन्य घटकों के बीच सवर्ण आरक्षण को लेकर फंस गया है। सवाल उठ रहे हैं कि 2014 में अपने चुनावी मेनिफेस्टो में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा करने वाला राजद अब क्यों विरोध में खड़ा हो गया है?

आरक्षण की गुगली में ‘माछ—भात’ चित

पिछले कुछ दिनों से महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर सभी दलों में खींचतान मचा है। ‘माछ—भात’ के जरिये भी सामंजस्य बनता नहीं दिखा। अब सवर्ण आरक्षण को लेकर महागठबंधन के सभी दलों के अलग-अलग सुर सामने हैं। पिछले दिनों लोकसभा में सवर्ण आरक्षण को लेकर राजद के सांसद जय प्रकाश नारायण यादव ने खुला विरोध किया था और राज्यसभा में भी राजद के सांसद मनोज झा ने इस बिल का खुलकर विरोध किया। जबकि कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के इस बिल का समर्थन किया।

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कांग्रेस—मांझी और कुशवाहा की दुविधा

गरीब सवर्णों के आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस समेत महागठबंधन के अन्य घटक दलों के सामने भी दुविधा है। राजद ने आर्थिक आधार पर आरक्षण का विरोध कर अपने परंपरागत वोट बैंक को खुश करने की चाल चली है, जो साथी दलों को रास नहीं आ रही है। सवर्णों को साधकर बिहार में अपना आधार बढ़ाने की जुगत में जुटी कांग्रेस के सामने असमंजस है कि वह गठबंधन की राजनीति में राजद के साथ कैसे पेश आए। यही हाल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) का भी है। मांझी को अपने स्टैंड की हिफाजत करते हुए लालू से निपटने में मुश्किल आना तय है। मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को पता है कि भाजपा-जदयू की ताकत को तोडऩे के लिए सवर्णों का साथ जरूरी है। यही कारण है कि सवर्ण आरक्षण के मुद्दे पर उक्त दोनों नेताओं ने भी लालू से अलग राह पकड़ी है। बिहार कांग्रेस के कार्यकारिणी अध्यक्ष कौकब कादिरी ने सवर्ण आरक्षण पर दिये बयान से बिहार की सियासत को गरमा दिया। उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार ने सवर्ण आरक्षण लागू कर दिया है तो फिर इसे बिहार में लाने में देर क्यों हो रही है। बिहार सरकार जल्द से जल्द सभी दलों से बात करके सवर्ण आरक्षण को बिहार में भी लागू करे। उधर कौकब कादरी से दो कदम आगे बढ़ते हुए हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा चीफ जीतन राम मांझी ने सवर्णों के अरक्षण को 10 की बजाए 15 फीसदी करने की मांग करते हुए इसे बिहार सरकार द्वारा भी जल्द लागू करने की मांग कर डाली। बिहार कांग्रेस के एक कद्दावर नेता के अनुसार राजद-कांग्रेस की विचारधारा अलग-अलग है और महागठबंधन भी अपनी शर्तों पर हुआ है। किंतु कांग्रेस के रणनीतिकार राजद के स्टैंड से हैरान हैं। हैरत इस बात की है कि पिछले लोकसभा चुनाव में राजद के घोषणा पत्र में गरीब सवर्णों के लिए भी 10 फीसद आरक्षण की वकालत करने वाले लालू अब विरोध क्यों कर रहे हैं?

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