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धरोहरों को बचाने में क्षेत्रीय सिनेमा का योगदान अहम : कृष्ण कुमार ऋषि

पटना : अपने पूर्वजों को आज की पीढ़ी भूल रही है। फिल्मों के माध्यम से हम आने वाली पीढ़ी को अपना इतिहास बता सकते हैं। उस दिशा में ‘क्षेत्रीय सिनेमा और बिहार’ नामक स्मारिका का प्रकाशन एक सराहनीय प्रयास है। इससे सामाजिक धरोहरों को बचाया जा सकता है। उक्त बातें बिहार सरकार के कला, संस्कृति युवा एवं खेल मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने विश्व संवाद केंद्र द्वारा प्रकाशित स्मारिका ‘क्षेत्रीय सिनेमा और बिहार’ का विमोचन करते हुए कही। कार्यक्रम की शुरुआत मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गई। उसके बाद स्मारिका का विमोचन किया गया।
विश्व संवाद केन्द्र के संपादक संजीव कुमार ने स्मारिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसके प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सिनेमा को बिहार में अधिक-से-अधिक बढ़ावा देना है। जहां ‘गंगा मईया तोहे पियरी चढ़ैबो’ जैसी भोजपुरी फिल्म ने भोजपुरी इंडस्ट्री में अपना ऐतिहासिक परचम लहराया था, वहीं आज का भोजपुरी सिनेमा अश्लीलता का पर्याय बन गया है। हमारा मुख्य उद्देश्य भोजपुरी सिनेमा को अश्लीलता से बचाना है। उन्होंने आगे की जानकारी देते हुए कहा कि इस माह में 27-29 अक्टूबर तक तीन दिवसीय सिनमेटोग्राफी पर आधारित कार्यशाला का आयोजन विश्व संवाद केन्द्र द्वारा किया जा रहा है। इस कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया, पुणे में अपनी सेवा दे चुके प्रसिद्ध सिनेमेटोग्राफर महेश दिगराजकर होंगे।

Art & Culture Minister KK Rishi, DD Bihar PEX Pawan Kumar, VSK Editor Sanjeev Kumar (Right to Left) lit the flame at inauguration of release ceremony of the souvenir.

इस अवसर पर फिल्म विश्लेषक प्रो. जयदेव ने कहा कि हमारा प्रयास है कि हमने अब तक जितनी भी स्मारिका प्रकाशित की है उसका संकलन कर एक पुस्तक के रूप में जल्द ही प्रस्तुत किया जायेगा। जिससे अकादमिक स्तर पर बिहार के सिनेमा पर अध्ययन व शोध करने वालों को सुविधा होगी। बिहार के सिनेमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि बिहार सिनेमा का एक बड़ा बाजार होते हुए भी अपनी क्षेत्रीय सिनेमा के लिए उपेक्षित है। अगर कोई व्यक्ति यहां के क्षेत्रीय सिनेमा पर शोध करना चाहे, तो उन्हें लिखित रूप से कुछ प्राप्त नहीं होगा। ऐसे में हमने इस स्मारिका का प्रकाशन किया है ताकि लोगों तक इसकी प्रामाणिक जानकारी लिखित रूप में उपलब्ध हो सके।

पाटलिपुत्र सिने सोसायटी के संयोजक एवं फिल्मकार प्रशांत रंजन ने इस अवसर पर कहा कि गुजराती, मराठी, तमिल व बांग्ला फिल्मों के मुकाबले बिहारी सिनेमा में अधिक संभावनाएं हैं क्योंकि यहां कोई एक क्षेत्रीय भाषा नहीं बल्कि भोजपुरी, मैथिली, मगही, बज्जिका एवं अंगिका के रूप में पांच क्षेत्रीय भाषाएं हैं। अगर बिहारी सिनेमा पर गंभीरता से काम हो तो सबसे अधिक विविधतापूर्ण फिल्में बिहार में बनने लगेंगी। विमोचन समारोह को वरिष्ठ अभिनेता केशव भारतीय, मगही फिल्मकार मिथिलेश सिंह, फिल्म मर्मज्ञ डाॅ. शंभु कुमार सिंह व फिल्मकार रीतेश परमार ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में फिल्मकार राजगीर सिंह, अभिषेक तिवारी, फिल्म संगीत विश्लेषक मिथिलेश कुमार तिवारी, सिने प्रेमी मो. चिरागउद्दीन अंसारी सरीखे सिनेमा क्षेत्र से जुड़े कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।