पटना : कालेज आफ कामर्स आर्ट्स एण्ड साइंस पटना में गुरुवार को ‘शिक्षा और महिला सशक्तीकरण में सावित्री बाई फुले का योगदान’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की संयोजक डॉ. मंजू कुमारी ने विषय प्रवेश कराते हुए सावित्री बाई फुले को महान समाज सुधारक बताते हुए नारी सशक्तीकरण और महिला शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कामर्स कालेज में संगोष्ठी का आयोजन
समारोह की मुख्य वक्ता पटना विश्वविद्यालय इतिहास विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. भारती एस कुमार ने अपने संबोधन में सावित्री बाई फुले के विचारों को प्रासंगिक बताते हुए कहा कि वह देश की पहली महिला शिक्षा शास्त्री थीं जिन्होंने धारा के विपरीत जा कर महिलाओं और दलितों में शिक्षा के प्रचार प्रसार तथा सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाई।
शिक्षा और महिला सशक्तीकरण में अहम योगदान
सामाजिक कार्यकर्ता और बी एन मंडल विश्वविद्यालय के सिनेट सदस्य अशरफी सदा ने कहा कि काग़ज़ पर सिर्फ सशक्त लिख देने से नारी का सशक्तिकरण नहीं हो सकता इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सावित्री बाई फुले दृढ़ इच्छा शक्ति की बेहतरीन उदाहरण हैं।
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की सीसीडीसी प्रो. तनूजा ने सावित्री बाई फुले के सम्मान में अपनी कविता के माध्यम से याद करते हुए कहा कि सावित्री अगर मेरी माई न होती तो महिलाओं की कभी पढाई न होती। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की सदस्य प्रो. उषा प्रसाद ने अपने संबोधन में सावित्री बाई फुले को महिला के सशक्तिकरण और महिला को शिक्षित करने में उनके योगदान की विस्तार से चर्चा की।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रधानाचार्य प्रो तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की बात नई नहीं है।महिला सशक्तिकरण की आवाज आजादी के पहले से उठती रही है और सावित्री बाई फुले देश की पहली महिला थीं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी देश में महिलाओं और दलितों को शिक्षा से जोडने और उन्हें सशक्त बनाने की मुहिम चलाई। इस से पहले अतिथियों का स्वागत प्रो जी पी गटकर ने किया।
मंच का संचालन डॉ. अनीता सागर ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो. राजीव रंजन ने किया। इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा प्रो. राजेश शुक्ला, प्रो. के बी पद्मदेव, प्रो. ए. के. भास्कर, डॉ. अफरोज़ अशरफी, डॉ. ख़ालिद अहमद, प्रो. इम्तियाज हसन, प्रो. बीथिका दास सरकार, डॉ. आदिति, प्रो. कंचना सिंह, डॉ. मुनव्वर फ़ज़ल, डॉ. एम जेड आलम और प्रो. कुमार चन्द्रदीप समेत अनेक शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।