वजह होते हुए भी राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का विरोध नहीं कर पाएंगे नीतीश, जानिए क्यों
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा एनडीए समर्थित राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम की घोषणा के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड किसे समर्थन करेगी? एक तरफ बिहार से पुराने ताल्लुक और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मधुर संबंध रखने वाले यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं, तो वहीं एनडीए से झारखंड के पूर्व राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं।
इन तीन मुख्यमंत्रियों का समर्थन जरूरी है बीजेपी के लिए
राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए मुख्य रूप से तीन नेताओं और उनके दलों को साधने के प्रयास में थी। नवीन पटनायक, जगन मोहन रेड्डी और नीतीश कुमार को भाजपा अपने पाले में लाना चाहती थी। इन तीनों के समर्थन से एनडीए प्रत्याशी आसानी से जीत दर्ज कर पाएंगे। वहीं, द्रौपदी मुर्मू के नाम के ऐलान के बाद अप्रत्यक्ष रूप से उड़ीसा के मुख्यमंत्री और बीजद के नेता नवीन पटनायक ने उड़ीसा की बेटी को समर्थन दे चुके हैं। अब भारतीय जनता पार्टी जगनमोहन रेड्डी को अपने पाले में लाना बाकी है, जगन मोहन रेड्डी भी जनजाति समुदाय से उम्मीदवार होने के कारण विरोध नहीं कर पाएंगे। भाजपा को अब सिर्फ नीतीश कुमार से समर्थन लेना बाकी है। क्योंकि, नीतीश कुमार पिछले दो चुनाव से जिस गठबंधन में रहे हैं, उस गठबंधन के खिलाफ जाकर मतदान किया है।
द्रौपदी मुर्मू का विरोध करने के लिए नीतीश के पास दो कारण लेकिन, नहीं कर पाएंगे विरोध
नीतीश कुमार के समर्थन को लेकर राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा शुरू है कि भाजपा के इस दांव का विरोध नीतीश नहीं कर पाएंगे। हालांकि, नीतीश के पास भाजपा के उम्मीदवार का विरोध करने के लिए दो कारण है। पहला कारण यह है कि नीतीश कुमार यशवंत सिन्हा को बिहारी बताकर द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ मतदान कर सकते हैं। दूसरा कारण यह है कि भाजपा नीतीश कुमार को राजनीतिक रूप से हाशिए पर लाने वाले चिराग पासवान का समर्थन ले चुकी है। चिराग और यशवंत सिन्हा का हवाला देकर नीतीश विरोध कर सकते हैं!
लेकिन, आदिवासी समुदाय से उम्मीदवार होने के कारण नीतीश का यह दांव सफल नहीं होता दिख रहा है। अगर नीतीश कुमार ऐसा करते हैं, तो उन पर आदिवासी समुदाय का विरोधी होने के साथ-साथ महिला विरोधी होने का भी ठप्पा लग सकता है, जो कि नीतीश कुमार कदापि नहीं कर सकते हैं। नीतीश कुमार हमेशा से आधी आबादी को राजनीति की मुख्यधारा में लाने के पक्षधर रहे हैं। इसलिए वे चाहकर भी द्रौपदी मुर्मू का विरोध नहीं कर पाएंगे।
संघ की पहली पसंद द्रौपदी
बता दें कि लंबे समय से यह चर्चा थी कि भारतीय जनता पार्टी इस बार किसी आदिवासी समुदाय से ताल्लुख रखने वाले को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बना सकती है। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा था कि भारतीय जनता पार्टी और विचार परिवार जनजाति समुदाय के लिए काफी कुछ कर रही है। विचार परिवार जनजाति समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चला रही है। इसके तहत विचार परिवार लंबे समय से किसी जनजाति समुदाय को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाना चाहती थी। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए समर्थित उम्मीदवार घोषित की है।