देश को समृद्ध बनाना है तो संस्कृत और संस्कृति को बढ़ावा दें

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पटना : देश को समृद्ध बनाना है तो भारत की भाषा, उसकी संस्कृति को प्रोत्साहित करना वक्त की जरूरत है। तभी भारत सिरमौर बन सकता है। उक्त बातें भाजपा नेता संजय विनायक जोशी ने पटना में समग्र संस्कृत विकास समिति द्वारा आयोजित वार्षिक सम्मान समारोह में कही।

श्री जोशी ने कहा कि संविधान बनाते समय भीमराव आम्बेडकर ने सुझाव दिया था कि संस्कृत को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाए। हालांकि ऐसा हो न सका। इतना ही नहीं आज के आधुनिक दौर में भी कंप्यूटर के सांतवे जनरेशन में संस्कृत भाषा का उपयोग किया जाना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयत्न से एक बार फिर योग को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है। यह हमारी संस्कृति को पुनर्जीवित करने जैसा प्रयास है।

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वहीं पटना विवि के कुलपति रासबिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि मध्ययुगीन काल में लोगों को विभाजित करने का प्रयास संस्कृति के विभाजन से ही शुरू किया गया। अब संस्कृत भाषा का सम्मान हमारे देश से ज्यादा विदेशों में शोध के रूप में किया जा रहा है। वहीं नवल किशोर यादव ने कहा कि संस्कृत और संस्कृति विलुप्त हो रही है। इतना ही नहीं, हिंदी का भी विघटन हो रहा है।

इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता संजय विनायक जोशी, विशिष्ट वक्ता नवल किशोर यादव , रासबिहारी प्रसाद सिंह, डॉ जीआर मिश्रा, प्रो मधुकेश्वर भट्ट, प्रो शशि प्रताप शाही, और डॉ मनोज कुमार मौजूद थे। कार्यक्रम का आयोजन समग्र संस्कृत विकास समिति के आयोजक मिथिलेश तिवारी द्वारा कराया गया।

सत्यम दुबे

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