23 वर्षों तक चुनाव नहीं कराने वाले पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने की कर रहे हैं मांग- सुशील मोदी
पटना : बिहार में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति को देखते हुए पंचायत चुनाव को टाल दिया गया है। नीतीश कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि बिहार में फिलहाल पंचायत चुनाव नहीं होने वाला और ना ही पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल में विस्तार किया जाएगा। वहीं इस बीच बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने इस फैसले को लेकर विपक्ष द्वारा किए जा रहे विरोध का करारा जवाब दिया है।
सुमो ने कहा कि राजद व कांग्रेस के जो लोग पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं,उन्हें संविधान के क, ख, ग, घ की जानकारी नहीं है। संविधान की धारा 243-ई में पंचायतों का कार्यकाल 5 साल के लिए निर्धारित है। जिस प्रकार विधान सभा या लोक सभा का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जा सकता है,उसी प्रकार पंचायतों का कार्यकाल भी बढ़ाना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए हाय- तौबा वे लोग मचा रहे हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल में 23 वर्षों तक पंचायत का चुनाव नहीं कराया और जब 2001 में चुनाव कराया तो संविधान में प्रावधान के बावजूद अनुसूचित जाति, जनजाति,पिछड़ा व महिलाओं को आरक्षण से वंचित कर दिया।
कोविड से उत्पन्न विषम स्थिति में सरकार ने कार्यकाल समाप्ति के बाद पंचायतों का कामकाज सम्भालने के लिए सलाहकार ( परामर्शी) समितियां गठित करने का जो निर्णय लिया है, वह सर्वोत्तम विकल्प है क्योंकि अंततः उसमें स्थानीय निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को ही रखने पर विचार किया जा रहा है।
राजद-कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान 2001 में हुआ पंचायत चुनाव रक्तरंजित रहा, 196 लोग मारे गए तथा सैकड़ों लोग चुनावी रंजिश में हिंसा के शिकार हुए थे।