दिल्ली हाईकोर्ट ने चिराग को दिया झटका, हो सकते हैं बंगले से बेदखल
पटना : लोक जनशक्ति पार्टी में मचे चाचा गुट और भतीजा गुट के बीच सियासी घमासान के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने चिराग पासवान को गहरा झटका दिया है।
चिराग पासवान द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के फैसले के खिलाफ पेटिशन डाली थी। जिसको आज दिल्ली हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है। चिराग पासवान की पेटिशन में मेरिट नहीं होने के कारण कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि चिराग पासवान की याचिका में कोई आधार नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि मामला लोकसभा स्पीकर के पास पेडिंग है। लिहाजा आदेश देने की कोई जरूरत नहीं है।
मालूम हो कि लोजपा में हुए टूट के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान की ओर से कहा गया था कि पशुपति पारस को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पार्टी से निकाल दिया गया है। इसके बावजूद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उनके चाचा केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस के गुट को मान्यता दी गई है।
वहीं पशुपति पारस की तरफ से पेश वकील ने कहा कि जो लेटर पारस ने लोकसभा अध्यक्ष को दिया था, उस समय पशुपति पारस पार्टी के चीफ व्हिप थे और बाद में पार्टी के लीडर चुने गए थे।
कोर्ट ने कहा कि जाएं चुनाव आयोग
वहीं कोर्ट ने कहा कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए। यहां नहीं आना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि ये याचिका यहां पर मेंटिनेबल नहीं है। वहीं लोकसभा स्पीकर के वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने इस मामले में स्पीकर से बात की है।लोकसभा अध्यक्ष के वकील ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई का कोई आधार नहीं है। उनकी तरफ से जानकारी दी गई है कि इस प्रकरण को वो देख रहे हैं।
गौरतलब है कि चिराग पासवान की ओर से दाखिल याचिरा में कहा गया था कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने की वजह से लोजपा पहले ही पशुपति पारस को पार्टी से बाहर निकाल चुकी है। वे अब लोक जनशक्ति पार्टी के सदस्य नहीं हैं।
उनका कहना है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 75 सदस्य हैं और इनमें से 66 सदस्य हमारे साथ हैं। सभी ने इसे लेकर हलफनामा दिया है।