दिल्ली चुनाव में चार बिहारियों पर टिकी चुनाव की राजनीति

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नयी दिल्ली/पटना : एक बिहारी सब पर भारी। ये जुमला मुंबई, दिल्ली एनसीआर सहित कोलकाता में प्रचलित है। पर, इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में चार बिहारी हैं। सभी अपने-अपने फन के माहिर। इनमें तीन के जिम्मे चुनावी नैया पार लगाने का प्रभार है।

भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी तो वहां पहले से सत्तारूढ़ दल के अध्यक्ष ही हैं। लिहाजा, उनकी जिम्मेवारी तो पहले से ही विदित है। पर, राजद, कांग्रेस तथा जदयू ने भी बिहारियों को वहां की जनता की वोट ठेकेदारी देकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है।

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सभी हैं अपने फन के माहिर, लेकिन अलग-अलग दलों से

राजद ने अपने राष्टीय अध्यक्ष मनोज झा को अपना फेस बना कर दिल्ली के पाॅलिटिकल साइंस का रिसर्च कर रिजल्ट देने की जिम्मेवारी दे दी है। मनोज झा दिल्ली विश्वविद्यालय में सोशल साइंस के प्रोफेसर हैं। राजनीति उनकी पहली रूचि है। उन्होंने कहा कि स्थिति मजबूत है और, हम रोज आगे बढ़ रहे हैं। एनसीआर, सीएए सहित कई मसले हैं जिन पर भाजपा घिर गई है।

मनोज तिवारी किसी परिचय के मोहताज नहीं। भाजपा को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने कमर कस ली है। कारण भी है-पूर्वी दिल्ली से इलेक्शन जीतने के बाद दिल्ली का प्रभार उन्हें दे दिया गया। मकसद विधान सभा इलेक्शन ही था। इसलिए उन्होंने दिन-रात एक कर दिया है। उनकी नजरें बिहारी मतदाताओं पर ही टिकी है।

दिल्ली में करीब 22-25 सीटों पर प्रभाव डालने वाले बिहार मतदाताओं को देखते हुए ही जदयू ने वहां अपने मंत्री संजय कुमार झा को चुनाव का प्रभार दे दिया है। संजय झा की छवि वहां बिहारियों में तो है ही कारपोरेट वल्र्ड में भी है। वे लम्बे समय तक दिल्ी में रह कर न केवल पढ़ाई-लिखाई की बल्कि बिहारियों को गोलबंद भी किया था। उसी गोलबंदी को देखते हुए उन्हें वहां की जिम्मेवारी दी गयी है।

कांग्रेस ने क्रिकेटर व पूर्व सांसद कीर्ति झा आजाद को चुनाव की कमान सौपी है। उनकी छवि एक क्रिकेटर, पाॅलिटिशियन तथा बिदंास यूथ की रही है। उनकी बिहारियों में तो पकड़ मानी ही जाती है, पंजाबियों के साथ भी गहरी छनती है। उनकी पत्नी पूनम आनंद दिल्ली की राजनीति में सक्रिय भूमिका में थीं। उनकी सक्रियता के पीछे कीर्ति झा की ही पहचान रही है।

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