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दत्तात्रेय होसबोले बने संघ के नए सरकार्यवाह

बैंगलोर : दत्तात्रेय होसबोले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नए सरकार्यवाह बनाए गए हैं। बैंगलोर में आयोजित संघ की दो दिवसीय प्रतिनिधिसभा के दूसरे दिन यानी शनिवार को इसकी घोषणा संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने की। नया दायित्व मिलने से पहले दत्तात्रेय होसबोले सहसरकार्यवाह थे। वे अब सरकार्यवाह के रूप में सुरेश भैयाजी जोशी का स्थान लेंगे।

सरकार्यवाह नियुक्त किए जाने की घोषणा के बाद होसबोले ने कहा कि कोरोनाकाल में बदली हुई परिस्थितियां आई उसमें पता चला कि घर में रह कर भी हम अपने स्वयंसेवकत्व को बचा सकते हैं।

दत्तात्रेय होसबोले का जीवन परिचय:
01 दिसम्बर, 1955 को कर्नाटक के शिमोगा जिले के सोराबा तालुक़ में जन्म हुआ। इन्होंने अंग्रेज़ी विषय से स्नातकोत्तर तक की शिक्षा ग्रहण की है।

दत्तात्रेय होसबळे 1968 में 13 वर्ष की अवस्था में संघ के स्वयंसेवक बने और 1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े। अगले 15 वर्षों तक ये परिषद् के अ भा संगठन मंत्री रहे। ये सन् 1975-77 के जेपी आन्दोलन में भी सक्रिय थे और लगभग पौने दो वर्ष आपने ‘मीसा’ के अंतर्गत जेलयात्रा भी की। जेल में इन्होंने दो हस्तलिखित पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। सन् 1978 में नागपुर नगर सम्पर्क प्रमुख के रूप में विद्यार्थी परिषद् में पूर्णकालिक कार्यकर्ता हुए। विद्यार्थी परिषद् में आपने अनेक दायित्वों का निर्वहण करते हुए परिषद् के राष्ट्रीय संगठन-मंत्री के पद को सुशोभित किया। गुवाहाटी में युवा विकास केन्द्र के संचालन में आपकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। अंडमान निकोबार द्वीप समूह और पूर्वोत्तर भारत में विद्यार्थी परिषद् के कार्य-विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका आपकी रही है ।

मा दत्तात्रेय होसबळे जी ने नेपाल, रूस, इंग्लैण्ड, फ्रांस और अमेरिका की यात्राएँ की हैं। सम्पूर्ण भारतवर्ष की असंख्य बार प्रदक्षिणा की है। अभी कुछ दिनों पूर्व नेपाल में आए भीषण भूकम्प के बाद संघ द्वारा भेजी गयी राहत-सामग्री और राहतदल के प्रमुख के नाते आप नेपाल गए थे और वहाँ कई दिनों तक सेवा-कार्य किया था। वर्ष 2004 में ये संघ के अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख बनाए गये। तत्पश्चात् 2008 से सह-सरकार्यवाह के दायित्व पर कार्यरत रहें हैं।

दत्तात्रेय होसबळे मातृभाषा कन्नड़ के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, हिंदी, संस्कृत, तमिळ, मराठी, आदि अनेक भारतीय एवं विदेशी भाषाओं के मर्मज्ञ विद्वान हैं। वे लोकप्रिय कन्नड़-मासिक ‘असीमा’ के संस्थापक-संपादक हैं।