दारूबंदी के कारण ‘उड़ता बिहार’ की गिरफ्त में युवा, जानें कैसे?

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पटना : बिहार में दारूबंदी एक्ट कागजों में तो लागू है, लेकिन हकीकत में आज भी छिपे तौर पर शराब आसानी से मिल रही है। दूसरे इस एक्ट के चक्कर में राज्य के युवाओं में वैकल्पिक नशीली वस्तुओं के इस्तेमाल की प्रवृति भी बढ़ी है। इसे देखते हुए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बिहार में फिर से शराब की बिक्री शुरू करने की मांग की है। पार्टी के वरीष्ठ नेता और एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा के अनुसार राज्य में दारूबंदी बिल्कुल फेल हो चुकी है। खुद सीएम ने भी अपने भाषणों में दारू की होम डिलिवरी की चर्चा की है। इसका मतलब साफ है कि इस एक्ट के लागू होने के इतने दिन बाद भी बिहार में दारू रुकी नहीं है।

कांग्रेस एमएलसी का दारू बिक्री शुरू करने का सुझाव

श्री मिश्रा ने कहा कि उल्टे तरह—तरह के ड्रग और नशीले पदार्थों का कारोबार भी राज्य में उग आया है। दारूबंदी के साइड इफेक्ट के रूप में सामने आ रहा नशे का नया कारोबार सूबे के युवाओं को बर्बाद कर रहा है। जिस तरह पंजाब की युवा शक्ति को ड्रग कारोबार ने बर्बाद कर दिया, उसी तरह बिहार की युवा शक्ति भी दारू आसानी से उपलब्ध नहीं होने के कारण हेरोईन, अफीम आदि की तरफ प्रवृत्त हो रही है। ऐसे में दारूबंदी एक्ट का कोई मतलब नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि डीजीपी भी कहते हैं कि बिहार में शराब की बिक्री हो रही है और जब तक दारोग़ा नहीं चाहेगा, इसे रोकना मुश्किल है।

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कांग्रेस नेता ने कहा कि शराब बंदी के नाम पर बिहार में सिर्फ मज़ाक़ हो रहा है। राज्य को राजस्व की हानि हो रही है सो अलग। इन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री को अपने दारूबंदी एक्ट के फैसले पर विचार करने की जरूरत है। कांग्रेस एमएलसी मिश्रा ने इसके लिए बजट सत्र में शराब बंदी के औचित्य पर बहस के लिए सभापति को आवेदन भी दे दिया है।

जदयू का पलटवार, सियासत कर रहा विपक्ष

उधर जदयू ने कांग्रेस के दारूबंदी को लेकर की गई टिप्पणी पर कहा कि किसी की मजाल नहीं जो बिहार में शराब की बिक्री फिर से शुरू कर सके। नीतीश कुमार ने शराब बंदी बिहार में किया तो इसका परिणाम आज सिर्फ़ बिहार ही नहीं बल्कि पूरा देश देख रहा है। विरोधी पार्टियां सिर्फ़ शराब बंदी के नाम पर सियासत कर रही हैं।

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