सिवान को दूसरा शहाबुद्दीन दे रहे नीतीश ?

0

कविता सिंह के सांसद बनने के बाद दरौंदा विधानसभा सीट खाली हो गई और यहाँ 21 अक्टूबर को उपचुनाव को लेकर मतदान होना है। दरौंदा सीट पर जदयू का कब्जा था और फिर से यह सीट जदयू के ही खाते में गयी है। नीतीश कुमार ने सुशासन की परिभाषा में बदलाव करते हुए आपराधिक छवि के अजय सिंह ( इलाके में डॉन की छवि ह्त्या, अपहरण समेत करीब तीस संगीन मामले दर्ज है ) को सुशासन के दावे को मजबूत करने के लिए दरौंदा से चुनावी मैदान में उतार दिया है। राजद ने दरौंदा सीट पर उमेश सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है।

जदयू ने अजय सिंह को सक्रिय राजनीति में लाने के लिए 8 साल इंतज़ार की और 2019 के उपचुनाव में सुशासन एवं परिवारवाद से ऊपर उठकर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने अजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है। मालूम हो कि सिवान लोकसभा सीट से 2009 व 2014 में ओमप्रकाश यादव सांसद चुने गए थे। लेकिन, 2019 में ओमप्रकाश यादव का टिकट कट गया था। और यहाँ से सांसद बनी जदयू की कविता सिंह। लेकिन, विवाद तब बढ़ा जब उपचुनाव में जदयू ने अजय सिंह को उम्मीदवार बनाया। जदयू का यह फैसला ओमप्रकाश यादव व भाजपा कार्यकर्ताओं को नागवार गुजरा।

swatva

ऐसा कहा जा रहा है कि जिस तरह से सिवान में लालू यादव ने राजनीतिक संरक्षण देकर शहाबुद्दीन को बाहुबली बनाया। ठीक उसी तरह सुशासन का दावा करने वाले नीतीश कुमार ने अजय सिंह को राजनीतिक संरक्षण देकर इलाके में एक और बाहुबली के मनोबल को बढ़ा रहे हैं। सिवान के लोगों को अभी एक ही बाहुबली से मुक्ति मिला नहीं वहीँ जदयू ने दूसरे बाहुबली को सक्रिय राजनीति में उतार चुकी है।

Pp16 (1) Om Prakash Yadav.jpg
फैसले से नाराज भाजपा नेता जिला उपाध्यक्ष रणजीत सिंह ने निर्दलीय ताल ठोकर एनडीए एवं जदयू की परेशानी को बढ़ा दिया है। जाहिर सी बात है ओमप्रकाश यादव भी इस फैसले से नाराज हैं तो यादव का समर्थन भाजपा के बागी उम्मीदवार को मिल सकता है। जमीनी स्तर पर रणजीत सिंह को जिस तरह बीजेपी नेताओं का समर्थन मिल रहा है, इससे चुनाव त्रिकोणीय हो गया है और राजद इस फैसले के कारण अपनी जीत मान रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here