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दक्षिण में ‘दक्षिणपंथ’ : हैदराबाद में भाजपा की दखल से ओवैसी को ‘उबासी’

ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनाव का परिणाम आ चुका है। प्रदेश की राजनीति में बड़ा उलटफेर करते हुए भाजपा दूसरी बड़ी पार्टी बनी है। पहले स्थान पर सत्तारूढ़ दल तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) है। वहीं ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) तीसरे स्थान पर है। तेलंगाना राष्ट्र समिति को 55 सीटें, भाजपा को 48, एआईएमआईएम को 44 तथा अन्य को दो सीटें मिली है।

दरअसल, सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाते हुए भाजपा ने स्थानीय चुनाव में शानदार प्रदर्शन की। इस प्रदर्शन के आधार पर यह कहना प्रासंगिक होगा कि अगले चुनाव में भाजपा तेलंगाना में वहां की पार्टियों के लिए मुसीबत खड़ा कर सकती है।

TDP का वोट भाजपा में हुआ शिफ्ट

बहरहाल, महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिर भाजपा इतनी सीटें जीतने में सफल कैसे हो गई। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि हैराबाद में वास्‍तविक रूप से चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगुदेशम पार्टी (TDP) के वोट भाजपा में शिफ्ट हुई। यही कारण है कि भाजपा हैदराबाद के स्थानीय चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी।

चुनाव को चुनाव समझा गया

वहीं, इस बात से अलग और महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस उस उत्साह से चुनाव नहीं लड़ी, जिस उत्साह से चुनाव भाजपा लड़ी। भाजपा ने अपने लगभग हर शीर्ष नेता को चुनावी मैदान में उतारी। इसका फायदा भाजपा को देखने मिला। क्योंकि, जब एक राजनीतिक पार्टी का काम चुनाव लड़ना है तो पार्टी सत्ता प्राप्त करने के लिए अपने कार्यकर्ता से लेकर हर छोटे-बड़े नेताओं को चुनावी मैदानी में उतारना आवश्यक है। इससे यह जाहिर होता है कि पार्टी जनहित के मुद्दों को लेकर गंभीर है।

इसको लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने हैदराबाद की जनता को धन्यवाद देते हुए कहा कि हैदराबाद जहां 5 लोकसभा की सीटें हो, 24 विधानसभा की सीटें हों, 1.25 करोड़ जनता हो और उनमें से 75 लाख लोग वोट डालने वाले हों। उसे गली का चुनाव कहा गया, लेकिन मैं इसे अपने दिल का चुनाव समझता हूं।

“भाग्यनगर” का भाग्योदय प्रारंभ

वहीं, यह चुनाव चर्चे में इसलिए आया। क्योंकि, भाजपा नेता व उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि जो लोग हिंदुस्तान में रहते हैं, वह हिंदुस्तान का नाम शपथ में नहीं लेते। यह घटना दिखाती है कि ओवैसी की AIMIM का असली चेहरा क्या है। हमने फैजाबाद का नाम अयोध्या किया। हमने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया। यह हमारे संस्कृति के प्रतीक हैं तो हैदराबाद का प्राचीन नाम भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता?’

इसको लेकर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “भाग्यनगर” का भाग्योदय प्रारंभ हो रहा है…हैदराबाद के निकाय चुनावों में भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व पर अभूतपूर्व विश्वास जताने के लिए “भाग्यनगर” की जनता का कोटि-कोटि धन्यवाद।

हैदराबाद की जनता ने गाड़ा राष्ट्रवाद का झंडा

वहीं, हैदराबाद चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हैदराबाद की जनता अब बदलाव चाहती है, इसलिए उन्होंने भाजपा को समर्थन दिया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एआइएमआइएम के अध्यक्ष औवेसी सिर्फ नफरत फैलाने का काम करते हैं। देश में जिस सांसद के मन में अपने देश के राष्ट्रीय गीत और गान का सम्मान नहीं करेगा, उसके मन में तो सिर्फ घृणा का भाव ही रहेगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हैदराबाद की जनता ने औवेसी को हराने का काम किया है, इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। औवेसी हैदराबाद में जो घृणा का भाव फैलाते हैं तो मैं सबसे पहले वहां की जनता को धन्यवाद देना चाहता हूं कि लोगों ने राष्ट्रवाद का झंडा गाड़ने का काम किया है। वैसे ही लोकसभा के अंदर राष्ट्रीय गान और गीत का अपमान करते हैं यानी उनके मन में कहीं ना कहीं जिन्ना के रास्ते पर चलने का भाव बना रहता है। वह व्यक्ति समाज के लिए घातक है।

मैंने बिहार के चुनाव पर भी यही कहा था कि बिहार के अमन चैन को आगे खतरा होने वाला है और उसी जीत के बाद घृणा फैलाने वाला व्यक्ति 5 सीटों पर जीत हासिल की है। वहां के लोगों ने क्यों वोट दिया, क्या उन्होंने विकास की गंगा बहाई थी, क्या विकास का मॉडल रखा था। केवल घृणा फैलाकर समाज में 5 सीट नहीं लिया, बल्कि मुझे एक ही भय है कि बिहार में कहीं घृणा का वातावरण न फैला दें।

भगवामय हो गया, लेकिन भाग्यनगर नहीं बन पाया

काफी हद तक योगी के इस बयान का फायदे के तौर पर देखी जा रही है। क्योंकि, पार्टी वहां दूसरे नंबर पर है, 4 से 48 सीटें जीतने के बाद भाजपा इसे बड़ी सफलता मान रही है। वैसे काफी हद तक हैदराबाद तो भगवामय हो गया, लेकिन भाग्यनगर नहीं बन पाया।