साइकिल संभली नहीं, दुलत्ती मार घोड़ा कैसे संभालेंगे तेजप्रताप?

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पटना : लालू के बड़े पुत्र तेजप्रताप का तो कहना ही क्या! कभी शिव तो कभी कृष्ण का अवतार ले लेते हैं। कभी बुलेट तो कभी बीएमडब्ल्यू का शौक पाल लेते हैं। इतना ही नहीं, अपनी नई नवेली दुल्हन को तलाक देने का मूड बना लिया तो बस बना लिया। सोने पर सुहागा तब जब खुद पर बायोपिक फिल्म बनाने की सूचना देने के साथ ही वे साइकिल पर जागरुकता फैलाने के लिए पब्लिक में निकल पड़ते हैं। … और अचानक खुलेआम बीच सड़क धड़ाम भी हो जाते हैं। इतना होने पर भी वे झेंपते नहीं, बल्कि सीना ठोंक कर बिहार की तकदीर बदलने का दावा करते हुए जमीन पर बैठकर जनता दरबार लागा लेते हैं।

गजब मूड, अजब-गजब शौक

बहरहाल इन्ट्रो की मुख्य बात यह है कि बेजुबान साइकिल तो बस उन्हें पटक कर खुद भी सड़क किनारे बेहाल हो गई, लेकिन दुलत्ती मारने वाला राजस्थानी पट्ठा घोड़ा चुप नहीं बैठेगा। ऐसे में हम जैसे प्रशंसकों का चिंतित होना लाजिमी है। आइए जानते हैं राजद के लाखों तेजप्रताप प्रशंसकों की चिंता का सबब क्या है? दरअसल लालू के बड़े पुत्र और बिहार के पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव पर अचानक घोड़ा खरीदने की धुन सवार हो गई। अपने ताजा शौक को पूरा करने के लिए तेजप्रताप बक्सर जिले के ऐतिहासिक ब्रह्मपुर पशु मेला जा पहुंचे। कल यानी शनिवार को तेजप्रताप यादव ने यहां से एक घोड़ा खरीदा।

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ब्रह्मपुर मेला से खरीदा राजस्थानी घोड़ा

शनिवार की शाम में बेहद गुपचुप तरीके से तेजप्रताप ब्रह्मपुर पहुंचे और वहां से एक राजस्थानी घोड़ा खरीद कर ले गए। घोड़ा भी आम नहीं, राजस्थान के सबसे सुपर हिट घोड़े को उन्होंने 80 हजार रुपये में खरीदा। राजस्थान के इस खास घोड़े का नाम नोकड़ है। देर शाम मीडिया या आमलोगों से दूरी बनाते हुए तेजप्रताप यादव चुपचाप मेला में आ गए थे।

तेजप्रताप ने की घोड़े की टेस्ट ड्राइव

जब तेजप्रताप घोड़े की खरीददारी कर रहे थे उस दौरान फ़ोटो या वीडियो बनाने पर पूरी तरह प्रतिबंध था। लेकिन प्रत्रकार तो नारद होते हैं, पता लगा ही लिया जिसके अनुसार घोड़े की खरीदारी के बाद तेजप्रताप ने वीवी हाई स्कूल मैदान में घोड़े की सवारी भी की। तेजप्रताप को घोड़े पर सवार देख समर्थकों की भारी भीड़ जुट गई। तेजप्रताप को घोड़े पर उचकते देख समर्थक भी उनकी सलामती की दुआ करने लगे। जानकारी के अनुसार जिस समय तेजप्रताप मेला में पहुंचे, उस समय घोड़ा रेस समाप्त हो गया था। लेकिन उनके आने की सूचना पाकर घोड़ा लेकर जानेवाले व्यापारी भी मेला में ठहर गए। वे चारों तरफ घूम-घूमकर घोड़े को देखने लगे। इसके बाद कई घोड़ों पर चढ़कर बकायदा मैदान में उसे दौड़ाया। फिर उन्होंने खरीदारी की।

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