बिहार में कार्यपालिका से लेकर विधायिका तक फैला कोरोना, असमंजस में चुनाव आयोग

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पटना: बिहार में कोरोना अब सर चढ़कर नाचने लगी है। आम से लेकर खास तक इसके जद में आने लगे हैं। कार्यपालिका की शीर्ष यानी कैबिनेट में सेंध लगाने के बाद यह विधायिका के शीर्ष को भी अपने जद में ले ली है। बिहार में प्रचलित मुहावरे के अनुसार स्थिति स्पष्ट करें तो मंत्री से लेकर संतरी तक को इसने एक ही तराजू पर तौल दिया है।

अब जो हालात बन रहे हैं उसमें बड़े लोग भी सहमे हुए हैं। यदि यही हालात रहे तो बिहार में विधानसभा चुनाव कराना मुश्किल लग रहा है। सरकार और चुनाव आयोग को स्थितियों का जमीनी हकीकत की स्थिति का आकलन करने के बाद चुनाव के बारे में सोचना होगा। वैसे तो राजनीति में कुछ भी संभव है। सम्पूर्ण विश्व को चक्का बंदी करने वाला कोरोना बिहार में राजनीति का चक्का न बंद कर दे। वैसे वर्चुअल रैली के बदौलत सभी पार्टियां चुनावी मोड में है।

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ताजा मामला है बिहार विधान परिषद से जुड़ा हुआ है, विप के कार्यकारी सभापति अवदेश नारायण सिंह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। अवधेश नारायण सिंह का पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। सभापति के परिवार के साथ-साथ उनके आप्त सचिव भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

कार्यकारी सभापति ने बीते 1 जुलाई को विधानसभा कोटे से नियुक्त नए सदस्यों को शपथ दिलवाए थे। इस समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के आलावा बिहार सरकार के कई मंत्री इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इनमें से एक एमएलसी सुनील कुमार सिंह विप का सदस्य बनने के बाद जेल में बंद राजद सुप्रीमों लालू यादव से मुलाकात करने रांची गए थे।

जाहिर सी बात है कि कार्यकारी सभापति के कोरोना संक्रमित होने के बाद उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों की जांच की जाएगी। सभापति के संपर्क मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के आलावा बिहार सरकार के कई मंत्री आये थे।

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