कोरोना संकट के बीच विद्या भारती के कार्यकर्ता कर रहें हैं गरीबों की मदद : गोपेश कुमार घोष
मुंगेर : बिहार में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। इस वायरस के कहर को कम करने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन कानून लागू है। इस लॉकडाउन कानून के कारण देश के सभी स्कूल ,कॉलेज,विश्विद्यालय बंद हैं। इस बीच विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के सेवा प्रकल्प ‘सरस्वती संस्कार केन्द्र’ के कार्यकर्ता वैश्विक महामारी कोरोना के मुसीबत की इस घड़ी में स्वस्थ रहकर तथा समाजिक दूरी का पालन करते हुए सरकार के प्रतिनिधियों से मिलकर सरकार के द्वारा दी जा रही सहायता को समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुँचाने का यथासंभव सहयोग एवं जागरूकता का काम कर रहे हैं।
बुनियादी शिक्षा के माध्यम से जीने के तौर-तरीके सीखाना उद्देश्य
नालंदा विभाग के सरस्वती संस्कार केन्द्र के संच प्रमुखों एवं कार्यकर्ताओं को आनलाईन बैठक में संबोधित करते हुए भारती शिक्षा समिति के प्रदेश सचिव गोपेश कुमार घोष ने कहा कि विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की योजना के तहत पूरे देश भर में सरस्वती विद्या मंदिर द्वारा सरस्वती संस्कार केंद्र संचालित किया जाता है, जिसका उद्देश्य समाज के वंचित क्षेत्र के ऐसे बच्चे जो गरीब हैं, जो किसी कारण विद्यालय जाने में असमर्थ हैं या ऐसे अभिभावक जो अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेज पा रहे हैं उनलोगों को बुनियादी शिक्षा के माध्यम से जीने के तौर-तरीके सीखाना ताकि उनमें आत्मविश्वास की भावना पैदा हो और ग्रामीण जीवन स्तर से ऊपर उठकर उच्च शिक्षा हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा सके एवं समाज के मुख्यधारा से जुड़कर अपने घरों में भी संस्कारमय वातावरण का निर्माण कर सके ।
शिक्षक के चयन तक में स्थानीय लोगों की होती है भागीदारी
शिक्षा और संस्कार के इस कार्य को करने के लिए संबंधित ग्राम के हीं शिक्षित युवक/युवती को शिक्षक आचार्य के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। इसका मुख्य कारण हैं की उनलोगों को बच्चों की भाषा, संस्कृति और परंपरा का बेहतर उन्हें ज्ञान होता है । सरस्वती संस्कार केंद्र की स्थापना,पाठ्यक्रम का चयन, स्कूल का समय और शिक्षक के चयन तक में स्थानीय लोगों की भागीदारी होती है। नालंदा विभाग के विभाग प्रमुख रामलाल सिंह ने कहा कि बच्चों को शिक्षित व संस्कारी बनाना इस केंद्र का उद्देश्य है। विद्या भारती का लक्ष्य है कि भारतवर्ष में कोई भी निरक्षर नहीं रहे सभी साक्षर होने के साथ-साथ संस्कारी भी हो।
शिक्षा के साथ दिया जाता है बेहतर संस्कार
बच्चों में ज्ञानार्जन के साथ माता पिता, मातृभूमि, देश, अपनी सभ्यता एवं संस्कृति के मान बिंदुओं और पूर्वजों को लेकर माननीय एवं पूजनीय भावना जागृत होना आवश्यक है। बच्चों में अच्छे बुरे कार्य को समझने और स्वच्छता आदि के संस्कार, प्रेम एवं करूणा का भाव होने के साथ-साथ जीव-जंतुओं और पेड़ों के प्रति भी दया का भाव होना जरूरी है। इस अवसर पर नालंदा विभाग के प्रवासी कार्यकर्ता परमेश्वर कुमार, ग्राम विकास योजना के प्रमुख विश्वनाथ मंडल, संच प्रमुख रणवीर कुमार, उमेश कुमार आदि उपस्थित थे।
संतोष कुमार