कोरोना में कहां ‘लुका’ गए कन्हैया? वोट में गरीब..गरीब, हॉटस्पॉट में..?

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पटना/बेगूसराय : नेता बनने के लिए छटपटा रहे जेएनयू ब्रांड छात्र नेता कन्हैया कुमार हाल तक पूरे बिहार में घूम—घूमकर लोगों की समस्याओं पर भाषण झाड़ रहे थे। लेकिन जब कोरोना की शक्ल में सचमूच में आफत जनता के सामने आई तो वे सीन से गायब हो गए। यहां तक कि उनका गृहजिला बेगूसराय कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया, लेकिन ये उभरते भविष्य के कॉमरेड नेताजी दुबके रहे। सोशल मीडिया पर भी 28 मार्च को आखिरी ट्वीट करने के बाद कन्हैया कुमार खामोश हो गए। ऐसे में लोग पूछने लगे कि गरीब की बात करने वाला, गरीबों को इस संकट में छोड़ कहां चला गया? कन्हैया के लिए क्या गरीब महज नेतागीरी चमकाने का साधन मात्र है? बेगूसराय के लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि चुनाव के दिनों में साथ निभाने का वादा करने वाले कन्हैया इस कोरोना काल में गायब क्यों हैं?

कन्हैया का बेगूसराय बना बिहार का दूसरा हॉटस्पॉट

विदित हो कि कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या के लिहाज से कन्हैया कुमार का गृह जिला बेगूसराय राज्य में दूसरे स्थान पर है और उसे हॉटस्पॉट घोषित किया गया है। राज्‍य के सर्वाधिक 29 मामले सिवान से मिले हैं, जबकि, आठ मामलों के साथ बेगूसराय दूसरे नंबर पर है। ऐसे संकट काल में आम—आवाम अपने नेताओं को खुद के बीच देखना चाहती है ताकि उनके बीच राहत कार्यों का सुचारू संचालन हो सके। लेकिन यह काफी चौंकाने वाला है कि कन्हैया कुमार बेगूसराय तो दूर सोशल मीडिया से भी गायब हो गए। हालांकि इन बातों की सूचना जब कन्हैया तक पहुंची तो वे करीब 13 दिनों की खामोशी के बाद 11 अप्रैल से फिर ट्विटर पर प्रकट हो गए।

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लापता होने के 13 दिन बाद ट्विटर पर लौटे तो उठे सवाल

इधर 13 दिन् की लंबी खामोशी के बाद जैसे ही कन्हैया ने 11 अप्रैल को ट्विटर पर मुंह खोला, यूजर्स और ट्रोलर्स ने उन्हें दौड़ा लिया। उनकी गैरमौजूदगी को लेकर तरह-तरह के कमेंट और सवाल उठाए जाने लगे। लोग पूछने लगे कि 28 मार्च को अपने आखिरी ट्वीट के बाद 11 अप्रैल को उन्होंन ट्वीट किया। इसबीच 13 दिनों तक वह कहां गायब रहे। वह भी कोरोना के संकट काल में। 11 अप्रैल को कन्हैया ने अपने ट्वीट में लिखा, अभी-अभी ‘ज्योतिबा फुले’ की कालजयी रचना “ग़ुलामगिरी” को फिर से पढ़ा। महात्मा फुले को उनके सामाजिक न्याय के संघर्षों के लिए नमन। कन्हैया ने आखिरी ट्वीट 14 अप्रैल को किया जिसमें बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर के जन्मदिन को लेकर अपनी भावना का इजहार किया है।

कन्हैया को गरीब नहीं, सिर्फ नेतागीरी से मतलब : भाजपा एमएलसी

बेगूसराय निवासी भाजपा एमएलसी रजनीश कुमार ने कहा है कि जिस कोरोना संकट के समय कन्हैया को क्षेत्र के लोगों के साथ रहना चाहिए, वे गायब हैं। रजनीश कुमार ने कहा कि वे अपने आपको बेगूसराय का बेटा कहते थे। यहां चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने रिकॉर्ड 72 लाख रुपये चंदा भी जुटाया। लेकिन जब लोगों की सेवा करने का मौका आया, तो कन्हैया यहां से लापता हो गए। क्या यही कॉमरेड कन्हैया कुमार का साम्यवाद और समाजवाद है? ऐसे समय में उन्हें यहां के लोगों के साथ रहना चाहिए था।

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