कोरोना की फिक्र नहीं, लालू की रिहाई के लिए बेचैन हेमंत सरकार
रांची/पटना : झारखंड में एक तरफ जहां कोरोना के रोज नए—नए मरीज सामने आ रहे हैं और पॉजिटिव मामलों की संख्या 17 हो गई है, वहीं प्रदेश की हेमंत सरकार राजद सुप्रीमो लालू यादव को किसी तरह जेल से निकालने की जुगत तलाशने में रात दिन मेहनत कर रही है। सरकार का सारा फोकस लालू को जेल से निकालने की तरकीब ढूंढने पर लगा हुआ है। जबकि राज्य कोरोना की विकराल होती स्थिति से त्राहि—त्राहि कर रहा है। इसी सबके बीच झारखंड के कृषि मंत्री बादल ने मीडिया से घोषणा की है कि राजद अध्यक्ष लालू को पैरोल पर रिहा किया जाएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार लालू पैरोल की शर्तें पूरी नहीं करते। इस ओर ध्यान दिलाये जाने पर मंत्री ने कहा कि जरूरत हुई तो इसके लिए सरकार अध्यादेश भी ला सकती है।
मंत्री ने कोरोना के बहाने लालू को रिहा करने की जताई मंशा
साफ है कि झारखंड सरकार के एजेंडे में कोरोना नहीं, बल्कि लालू की रिहाई है। तभी तो जब महामारी की रोकथाम में सरकार की पूरी मशीनरी को लगाया जाना चाहिए था, राज्य सरकार लालू की रिहाई के एजेंडे पर काम कर रही है। झारखंड के कृषि मंत्री बादल ने बहाना भी कोरोना का ही बनाया है। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद की उम्र 70 वर्ष से अधिक है और वे रिम्स में भर्ती हैं। ऐसे में उन्हें कोरोना के संक्रमण का खतरा अधिक है। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें पैरोल पर छोड़ा जाएगा। मंत्री बादल ने बताया कि वे कल रविवार को होने वाले राज्य कैबिनेट की बैठक में इस मामले को रखेंगे। इसको लेकर पहले ही मुख्यमंत्री से बात हो गई है।
लालू को पैरोल देने से उच्च स्तरीय बैठक में किया गया मना
अभी दो दिन पहले झारखंड की जेलों में कोरोना संक्रमण न फैले, इसके लिए रांची हाईकोर्ट के जस्टिस एससी मिश्रा, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, जेल आईजी शशि रंजन व डालसा के सचिव की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। इसमें तय हुआ कि आर्थिक आपराधिक और सात साल से ज्यादा सजा वालों को पैरोल नहीं दी जाएगी। वहीं गंभीर आपराधिक मामलों को छोड़ सात साल से कम सजा वाले कैदियों की पैरोल का विरोध सरकार नहीं करेगी। उन मामलों में संबंधित कोर्ट ही निर्णय ले सकती है। आर्थिक अपराध का आरोपी होने के कारण लालू प्रसाद को पैरोल नहीं देने की सिफारिश हुई थी।