पटना। विश्व संवाद केन्द्र द्वारा चलाये जा रहे तीन दिवसीय सिनेमेटोग्राफी कार्यशाला के अंतिम दिन सिनेमेटोग्राफर महेश दिग्राजकर ने सिनेमेटोग्राफी में स्पेशल इफेक्ट, कैमरा क्रू, प्रकाश व्यवस्था व फोकस पुलर आदि के संबंध में प्रतिभागियों को जानकारी दी। प्रतिभागियों ने कैमरा तकनीक के बेहतर उपयोग किये जाने वाले कई शाॅट्स का अवलोकन भी किया।
समापन समारोह में उपस्थित फिल्मकार किरणकांत वर्मा ने अपने संबोधन में सिनेमेटोग्राफर का महत्व बताते हुए कहा कि शूटिंग के समय किसी भी फिल्म निर्देशक के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति सिनेमेटोग्राफर होता है। फिल्मकार की कल्पना को सिनेमेटोग्राफर ही कैमरे के माध्यम से साकार करता है। उन्होंने नाटक और सिनेमा में अंतर बताते हुए कहा कि नाटक जहां दर्शक सापेक्ष होता है वहीं फिल्म कैमरा सापेक्ष होता है। इस कारण से भी फिल्म निर्माण में सिनेमेटोग्राफर का महत्व बढ़ जाता है।
केन्द्र के न्यासी समाजसेवी राजेश पांडेय ने कार्यशाला की सराहना करते हुए कहा कि यह तीन दिनों की कार्यशाला प्रतिभागियों के सिनेमाई करियर में काफी महत्वपूर्ण होने वाली है क्योंकि छोटा सा किया गया प्रयास भी कभी नष्ट नहीं होता। इसके लिए जरूरी है कि इस तीन दिनों मंे मिले ज्ञान को लगातार अभ्यास के माध्यम से परिष्कृत किया जाये। उन्होंने कहा कि संस्था का आगे भी यह प्रयास रहेगा कि इस प्रकार के तकनीकी कार्यशाला आयोजित होते रहें।
मंच संचालन कर रहे विश्व संवाद केन्द्र के संपादक संजीव कुमार ने फिल्म के क्षेत्र में संस्था द्वारा किये जा रहे प्रयासों का विवरण देते हुए बताया कि नये प्रतिभाओं को मंच देने के उद्देश्य से संस्था द्वारा हर साल फिल्म प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर कार्यशाला, गोष्ठी के आयोजन के माध्यम से यहां के युवाओं में सिनेमाई समझ विकसित करने का सतत प्रयास किया जाता रहा है। समापन सत्र में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव भी साझा किए।
समापन समारोह में समाजसेवी अभिषेक कुमार, एडिटर रवि प्रकाश, सिनेमेटोग्राफर विवेक समेत फिल्म विधा के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।