पटना : आज उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्र सरकार के 13 पॉइंट रोस्टर हटाने के फैसले को झूठा करार दिया औऱ कहा कि सरकार ने लोगों की आँखों मे धूल झोंकने का काम किया है। आनेवाले चुनाव में जनता इनको मज़ा चखाने का काम करेगी। उपेंद्र कुशवाहा आज रालसोपा दफ्तर में एक संवाददाता सम्मेलन कर रहे थे। रालोसपा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार के फैसले के विरोध में जब विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भारत बंद का एलान किया था जिसका हमारी पार्टी ने भी भरपूर समर्थन किया था, उससे डरकर केंद्र सरकार को मज़बूरी में अपना फैसला वापस लेना पड़ा। हालांकि सरकार की मंशा इसे वापस लेने की नहीं है। कहा जा सकता है कि ऊंट पहाड़ के नीचे आया। उपेंद्र कुशवाहा ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार इस फैसले को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है। नीतीश कुमार के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने प्रकाश जावड़ेकर से बात की। लेकिन ये धूल झोंकने वाला फैसला है। इससे एससी एसटी, पिछड़ो, दलितों और आदिवासियों को कोई फायदा नहीं होनेवाला है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि देश मे 40 केंद्रीय विश्वविद्यालय है जिसमे दलितों को 3.47 प्रतिशत आरक्षण है। जबकि 15 प्रतिशत होना चाहिए। आदिवासियों को 7.5 प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए लेकिन उन्हें 0.7 प्रतिशत ही आरक्षण मिल पाता है। वहीं पिछड़ो के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है लेकिन इस तबके से एक भी प्रॉफेसर नही है। वैसी ही स्तिथि इन सभी वर्गों की एससोसिट प्रॉफेसर और असिस्टेंट प्रॉफेसर के पदों में भी बना हुआ है। एक भी पिछड़ा समाज का व्यक्ति एससोसिट प्रॉफेसर तक नहीं बन सका है। उन्होंने कहा कि इस अध्यादेश से कोई भी सुधार नहीं होनेवाला है। ये एक आई वाश है। अब इस देश मे सभी जग गए हैं। चाहे वो पिछड़ा हो, दलित हो या आदिवासी। इनकी उपेक्षा अब कोई नहीं कर सकता है। आबादी के मुताबिक सभी तबके के लोगों को आरक्षण दिया जाना चाहिए। जब हम मंत्री थे और आरक्षण बढ़ाने की बात करते थे तब 50 परसेंट कोटा की लिमिटेशन की बात कही जाती थी। लेकिन स्वर्णो के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने के बाद यह बैरियर टूट गया है और जब बैरियर तोड़ दिया है तो आरक्षण का दायरा क्यों नहीं बढ़ाया जा सकता।
(मानस द्विवेदी)