चुनावी चौसर पर मोहरों में क्यों बंटा लालू कुनबा? विरासत के लिए कलह?

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पटना : लोकसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं हैं। लेकिन बिहार यानी ‘पाटलिपुत्र’ में इसके लिए बिछाया जा रहा चुनावी चौसर, लालू परिवार के आंतरिक कलह की तस्वीर पेश करने लगा है। कलह का कारण है लालू यादव की विरासत को हथियाने की होड़। ऐसे में कुछ ऐसी सीटें हैं जो उनकी विरासत की प्रतीक बन गईं हैं और जहां से लालू यादव चुनाव लड़ते आए हैं। विरासत की प्रतीक बनी इन सीटों पर लालू की संतानों में दावेदारी की जंग तो भीतर—भीतर काफी पहले से ही छिड़ी हुई है, लेकिन जब परिवार के बाहर का कोई राजद कार्यकर्ता उन सीटों में अपने लिए जगह तलाशने लगा तब विवाद खुलकर सतह पर आ गए।

भाई बीरेंद्र के बहाने सतह पर आई लालू परिवार की कलह

मनेर के राजद विधायक भाई बीरेंद्र ने पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की अपनी मंशा ज्यों ही जाहिर की, त्योही लालू कुनबे में खलबली मच गयी। पत्नी को तलाक देने पर अड़े लालू के ज्येष्ठ पुत्र व महुआ के विधायक तेजप्रताप यादव भाई बीरेंद्र के उस प्रस्ताव पर हत्थे से उखड़ गए। राजद के प्रदेश कार्यालय में अपने जनता दरबार में उन्होंने कहा कि पाटलिपुत्र सीट तो मेरी मीसा दीदी की है। उस पर कोई दावा कैसे कर सकता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि टिकट तो हमारे पास है, फिर भाई बीरेंद्र उसे कैसे ले सकते हैं। इतना ही नहीं पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर अपनी दावेदारी पुख्ता करने के लिए उन्होंने तत्काल इस लोकसभा क्षेत्र के प्रमुख स्थान मनेर का कार्यक्रम बना दिया। मनेर शरीफ में मत्था टेक कर उन्होंने यह संदेश देने का प्रयास भी किया कि लालू परिवार की इस ‘विरासत सीट’ पर ललचाई निगाह डालने वालों की खैर नहीं।

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पर्दे के पीछे से तेजस्वी का रणनीतिक खेल

वैसे इस पूरे प्रकरण और भाई बीरेंद्र की पीठ ठोंकने के पीछे पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मौन सहमति मानी जा रही है। क्योंकि तेजस्वी के ईशारे पर ही भाई बीरेंद्र ने पाटलिपुत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। तेजस्वी यादव को भी इस मामले में यह कहना पड़ा कि पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता अपनी बात को उचित फोरम पर रख सकता है। यह कोई अपराध नहीं है। इस बात से इतना तो स्पष्ट हो गया कि दोनों भाई इस मामले में अलग-अलग राय रखते हैं। भाई बीरेंद्र को तेजस्वी का मौन समर्थन प्राप्त है। तेजस्वी की बात से अलग रूख अपनाते हुए मीसा भारती ने भी यह कहा दिया कि वह पाटलिपुत्र से चुनाव लडी थीं। इस बार भी वहीं से चुनाव लड़ेंगी। अगर तेजप्रताप उस सीट से चुनाव लड़ना चाहें तो मैं अपनी दावेदारी छोड़ सकती हूं।

रामकृपाल की राह चलेंगे भाई बीरेंद्र?

राजद व लालू परिवार की समझ रखने वालों का कहना है कि लालू कुनबा छपरा से दूसरे को चुनाव लड़ने देना नहीं चाहता। तेजपताप की ससुराल छपरा लोकसभा क्षेत्र में ही पड़ती है। ऐसे में उनका वहां से चुनाव लड़ना मुश्किल भरा होगा। ऐसे में मीसा भारती लालू की परंपरागत सीट छपरा से चुनाव लड़ेंगी और तेजप्रताप पाटलिपुत्र से। लालू कुनबे की मुट्ठी में बंद राजद में वही होता है जो लालू की संतानें चाहती हैं। मीसा की दावेदारी को चुनौती देने की हिम्मत करने के कारण लालू के अत्यंत वफादार रामकृपाल यादव को भी अपमानित होकर पार्टी छोड़ना पड़ा था। रामकृपाल बाद में भाजपा में शामिल हुए और चुनाव लड़कर इस सीट पर जीत हासिल की। भाजपा ने उनका मान बढ़ाते हुए उन्हें मंत्री पद पर बैठाया। अब भाई बीरेंद्र ने मीसा की इस सीट पर दावेदारी पेश करने की हिम्मत दिखायी है। देखना दिलचस्प होगा कि उनके साथ राजद में क्या होता है।

रमाशंकर

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