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चुनावी चक्र संभालने में लगे तेजस्वी, राजद को क्यों लग रहा करंट?

चुनाव का चक्र शुरू होते ही राजद का चुनावी चक्र उल्टा होने लगा है। झटका-दर-दर झटका से परेशान पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव अभी तक तो झटकों को अड़े हुए हैं, पर कहना मुश्किल है कि वे कब तक इसे झेल पायेंगे।

करंट पर करंट लगा रहा पार्टी को

पहला करंट उनकी पार्टी के ही पांच विधायक क्रमशः संजय कुमार, राधाचारण सेठ, रणविजय कुमार सिंह, एसएम कमर आलम ने जून में दिया जब कार्यकारी विधान परिषद अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह के हाथों में इस्तीफे की प्रति थमाते हुए जद-यू में शामिल होने की इजाजत मांगी। इजाजत मिल भी गयी। नतीजा, कांैसिल के प्रतिष्ठामूलक पद को छोड़ना पड़ गया।

सेठ के लिए क्या नहीं किया लालू प्रसाद ने? वो भी छोड़ा

इनमें आरा के वहीं राधा चरण सेठ हैं- जिनके नैतिक-अनैतिक कार्यों लालू प्रसाद पर्दा डालते रहे और मुहर भी लगाते रहे। कमरआलम भी उनके बेडरूम तक जाने वाले नेता रहे हैं। इस करंट को राजनीतिक के नये खिलाड़ी न तो समझ पा रहे हैं और न ही बर्दाश्त कर पा रहे हैं। इसी का नतीजा है नीतीश कुमार के प्रति अपना टेंपर लुज कर दे रहे हैं। हालांकि उन्हें उनके दिग्गज पिता लालू प्रसाद बराबर उन्हें शांति से राजनीतिक करने की सलाह देते रहे हैं।

रघुवंश बाबू का पार्टी में बिदकना, बिगाड़ सकता है चुनावी गणित

अभी महीना बीता ही था कि पुनः छह विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे कर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी। उनमें तो लालूजी के समधी चन्द्रिका राय भी हैं। इधर, तेजप्रताप की बोली ने पार्टी के सीनीयर समाजवादी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के लिए गोली का काम किया है। एक तो वे बुजुर्ग दूसरे उनके पिता लालू प्रसाद के सिपाहसलार को कह दिया कि अगर गंगा से एक लोटा पानी निकल ही जाएगा तो कोई अंतर नहीं पड़ेगा। ऐसा उन्होंने तब कहा जब रधुवंश बाबू दिल्ली में इलाज करवा रहे हैं। ये वही रघुवंश बाबू हैं जो कभी तेजप्रताप को गोद में लेकर खेलाया करते थे। रघुवंश बाबू अड़े हैं कि उन्होंने पार्टी के नेशनल वाइस प्रेसिडेंट पद से दिया इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। उनका सापफ मानना है कि रमा सिंह को पार्टी में क्यों तरजीह दी जा रही है। रमा सिह उनके प्रतिद्वंद्वी तो रहे ही हैं, चुनाव में परास्त भी किए थे। रघुवंश बाबू ने इस संवाददाता को फोन पर बताया कि बात जीत-हार की नहीं है। सिद्वान्त की है। उन्होंने रमा की प्रोफाईल जानने की सलाह इस संवाददाता को दी। इशारे में उन्होंने सबकुछ कह दिया। इन बातों को गौर करते तेजस्वी दिल्ली पहुंचे और उनका हालचाल पूछ कर मनाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि तेजस्वी अच्छा लड़का है। इसलिए नहीं कि वो दिल्ली आकर मेरा हालचाल पूछा, बल्कि संस्कार तो है ही। पर, मेरा भी सिद्वान्त है। उधर, रमा सिंह निरंतर तेजप्रताप के दरबार में आ-जा रहे हैं। इसकी जानकारी रघुवंश बाबू को मिल जा रही है। ईंट-ईंट जोड़ी है- रघुवंश ने, इसीलिए उन्हें सब पता है

आखिर पार्टी की ईंट-ईंट उन्होंने भी जोड़ी है। इसलिए किस घर में क्या हो रहा है -इसकी जानकारी उन्हें कैसे नहीं मिलती? हालांकि, तेजप्रताप को लालू प्रसाद ने रांची रिम्स तलब कर समणाने की कोशिश की है। वे कितना उनकी बातों को महत्व दिए-कहना मुश्किल है। तेजप्रताप अपने तुनुकमिजाज और जिद के लिए जाने जाते हैं।
हद तो ये कि दरभंगा के एमएए फातमी के बेटे ने जब राजद छोड़ा तो ऐ समुदाय विशेष सन्न रह गया। ये वही- फातमी हैं जो एमवाय समीकरण को सबल बनाने में महती भूमिका निभायी थी। लोकसभा में जबसे उन्हें टिकट नहीं दिया गया तभी से अल्पसंख्यक समुदाय का एक वर्ग राजद से अलग हो गया था।

राजद अब नदी नहीं रही, पाॅलिटिक्स टेबल-टेनिस का खेल नहीं

बहरहाल, एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि -तेजप्रताप भूल कर रहे हैं कि उनकी पार्टी अब नदी नहीं रही। अगर वे 1995 से अभी तक के पार्टी इतिहास पर गौर करें तो पाएंगे कि नदी से पानी लगातार सुख रहा है। अगर, स्थिति यही रही तो कहीं राजद नामक पार्टी कहीं विलुप्त न हो जाए। महज दो महीनों में राजद से 11 विधायकों के इस्तीफे को वे टेबल टेनिस का खेल न समझें। इस संवाददाता को इधर जानकारी मिली कि तेजप्रताप को नया शौक टेबल टेनिस खेलने का चढ़ा है। खेलें, पर राजनीति टेबल-टेनिस नहीं है।