चिरांद में बने बनाए घाट को तोड़ना कहां तक उचित? निर्माण में गड़बड़ी!
डोरीगंज : सारण जिला के सदर प्रखंड अतंर्गत गंगा, सरयू व सोन संगम तट स्थित प्रसिद्ध बंगाली बाबा घाट पर नमामि गंगे योजना के तहत पिछले छह माह से जारी निर्माण कार्य में घटिया गिट्टी, बालू के प्रयोग और मानक के अनुसार स्तम्भ नहीं ढालने की जानकारी मिली है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ लोग इसका विरोध किये तो निर्माण कंपनी के गुंडों द्वारा उन्हें धमकाया गया। लिहाजा, लोग कुछ बोलने से परहेज कर रहे हैं। चिरान्द विकास परिषद द्वारा कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर से शिकायत की गयी तो उन्होंने बताया कि आगे से शिकायत नहीं मिलेगीं। निर्माण स्थल पर गिरे स्टोन चिप्स को हटवाने की बात उन्होंने कही। लेकिन बाद में उस घटिया सामग्री को निर्माण में लगा दिया गया।
ढलाई में गंगा बालू और घटिया सामग्री का उपयोग
इतना ही नहीं, ढलाई कार्य में गंगा नदी के बालू का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। मानक के अनुसार पिलर 49 फीट नीचे ले जाना था लेकिन 25 फीट से लेकर 40 फीट तक ले जाकर ढलाई कर दिया गया। इससे घाट कमजोर हो जाएगा। वहीं पिछले छः माह से निर्माण कार्य के कारण बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। परिषद के संरक्षक नागा बाबा ने बताया कि जल्द ही वे जिला पदाधिकारी से इसकी जांच कराने को लेकर पत्र देंगे। इस सम्बंध में कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर सौरभ ने बताया कि निर्माण स्थल पर निरीक्षण करने के बाद ही कुछ बता
पायेंगे।
नये घाट का निर्माण, मनमानी से आक्रोश
मालूम हो कि सारण जिला अंतर्गत सदर प्रखंड का बंगाली बाबा घाट जिसका निर्माण लगभग एक दशक पहले खुद बंगाली बाबा द्वारा बनवाया गया था जो काफी मजबूत था। बाढ और गंगा के तेज बहाव के बावजूद भी वह सही अवस्था में था। लेकिन निर्माण एजेंसी द्वारा ग्रामीणों की राय जाने बगैर उसे तोड़ दिया गया। परिषद के सदस्यों का कहना है कि घाट से सटे पूरब रसीक सीरोमणी मंदिर (जहाज घाट) पर नये सीढी का निर्माण करना था। लेकिन परिषद की राय जाने बगैर रातोंरात निर्माण एजेंसी द्वारा जेसीबी और पोकलेन लगाकर घाटों को तोड़ दिया गया। और अब जब उसे फिर से बनाया जा रहा है तो घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में बने बनाये घाट को तोड़ने का क्या फायदा।
श्रीराम तिवारी