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चिरांद में लक्ष्मण किलाधीश के सानिध्य में गंगा, सरयू और सोन पूजन

कोरोना के कहर का असर दानी राजा मोरध्वज की नगर चिरांद के वार्षिक महोत्सव पर भी दिखा। गंगा, सरयू और सोन के संगम पर स्थित पुरातात्विक, सांस्कृतिक व धार्मिक स्थल चिरांद में ज्येष्ठ पूर्णिमा को भव्य गंगा महा आरती का आयोजन होता है। संभवतः बिहार में गंगा महाआरती का सिलसिला आज से तेरह वर्ष पूर्व वहीं से शुरू हुआ था। कोरोना वायरस के कारण इस वर्ष वहां गंगा गरिमा रक्षा संकल्प एवं चिरांद चेतना महोत्सव का भव्य नहीं हो सका। ऐसे में चिरांद स्थित अयोध्या मंदिर में अयोध्या से पधारे संतों की टोली ने गुरूवार 4 जून की सुबह से संगीतमय अखंड रामायण पाठ शुरू कर दिया है। चैबीस घंटे अखंड रामायण गायन की पूर्णहुति के बाद संध्या काल में गंगा के तट पर आयोध्या से पधारे लक्ष्मण किलाधीश महंत श्री मैथिली रमण शरण जी के सानिध्य में चिरांद विकास परिषद के कार्यकर्ताओं व संतों ने शारीरिक दूरी बनाते हुए गंगा पूजन व कारती की।

इस अवसर पर महंत मैथिली रमण शरण जी ने कहा कि प्रभु श्रीराम की बाल लीला की साक्षी रही सरयूजी चिरांद में ही माता गंगा से मिलती हैं। यहां गंगा, सरयू और सोन नद के मिलन के कारण यह स्थल आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह स्थान रामायण सर्किट का महत्वपूर्ण केंद्र है जहां अयोध्या से चलकर सिद्धाश्रम बक्सर जाने के पूर्व श्रीराम और लक्ष्मण के साथ महर्षि विश्वामित्रजी ने निवास किया था और इसी संगम पर उन्हें अतिबला व बला विद्या प्रदान कर उन्हें युद्ध के योग्य बनाया था। शुद्ध भाव से भगवान श्रीराम की कथा कहने से प्रकृति जीव के अनुकूल होती है। संपूर्ण विश्व को इस संकट से मुक्त कराने के संकल्प के साथ एकांत गंगा तट पर स्थित मंदिर परिसर में संतों ने यह अनुष्ठान किया हैं। गंगा जयंती से शुरू होकर सरयू जयंती तक यह समारोह चलता है। आज सरूय जयंती है। साथ ही विश्व पर्यावरण दिवस भी है।
इस अवसर पर चिरांद विकास परिषद के संरक्षण महंत श्री कृष्ण गिरी उपाख्या नागा बाबा भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि आज के दिन कई शुभ सयोग एक साथ मिलते हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सरयू जयंती होती है। इसके साथ ही सद्गुरु कबीर साहब का आज प्राकट्य दिवस भी है। साथ ही आज विश्व पर्यावरण दिवस भी है। कोरोना के प्रभाव के कारण विश्व संकट में है। लेकिन इसका सुखद पक्ष यह भी है कि इससे प्रकृति का उपचार हो गया है। चिरांद विकास परिषद इस परंपरा को आगे बढायेगी।
चिरांद विकास परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी ने कहा कि इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा को चंद्रग्रहण भी लग रहा हैं। संतों का अखंड रामकथा अनुष्ठान पूर्ण हुआ। इसके बाद गंगा तट पर पौधा रोपण कार्य हुआ तब माता गंगा की आरती हुई। इस अवसर पर निर्जन स्थानों पर पीपल और बरगद का एक हजार से अधिक पेड़ लगाने वाले दशरथ राय भी उपस्थित थे। वहीं समाजसेवी देवेश नाथ दीक्षित ने कहा कि चिरांद विकास परिषद का प्रयास अब रंग लाने लगा है। उन्होंने कहा कि गंगा की रक्षा के लिए इसके तटों पर विशाल वृक्षों का होना आवश्यक है।