कुशवाहा के बहाने चिराग को ‘संजीवनी’ तो RCP के लिए चुनौती

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जदयू प्रदेश कार्यालय के कर्पूरी सभागार में उपेंद्र कुशवाहा आरसीपी के अनुपस्थिति में जदयू के हो चुके हैं। विलय के बाद कुशवाहा ने कहा था कि एक बार फिर से वे अपने पुराने घर में आ गए हैं। विलय से बिहार में और तेजी से विकास होगा, साथ ही बिहार की राजनीति में हम और सशक्त बनेंगे।

नीतीश ने भी इस मौके पर कुशवाहा की तारीफ करते हुए कहा कि कुशवाहा जी से चुनाव के बाद ही इस विषय पर चर्चा हो रही थी। इनके साथ मेरा सबसे पुराना रिश्ता रहा है। विलय को लेकर मुझे सबसे अधिक खुशी हुई, अब हमलोग साथ मिलकर देश और राज्य की सेवा करेंगे। नीतीश ने कहा था कि उनकी कोई ख्वाहिश नहीं है, लेकिन हम तो सोचेंगे न आपकी भी प्रतिष्ठा है, आपकी भी इज्जत है। इसलिए भाई उपेंद्र जी तत्काल प्रभाव से जनता दल यूनाइटेड के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे।

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तो क्या RCP से ज्यादा सांगठनिक गुणी हैं उपेंद्र!

अब बात रही नीतीश की ख़ुशी की कि आखिर नीतीश कुशवाहा के साथ आने से इतना खुश क्यों हैं? ख़ुशी की वजहों को लेकर कहा जा रहा है कि बिहार में कुर्मी जाति और ओबीसी-2 जाति की जनसंख्या लगभग 9-11 फीसदी है। बिहार की एक चौथाई विधानसभा सीटों पर कम से कम 30 हजार से ज्यादा इन खास वोटरों की संख्या है। नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा दोनों ही इस वर्ग पर अपनी मजबूत पकड़ का दावा करते हैं। इस चुनाव में नीतीश कुमार को हर जाति के वोटरों का साथ नहीं मिला। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा के कारण जदयू को लगभग 19 सीटों का नुकसान हुआ।

इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार आरसीपी सिंह के सांगठनिक क्षमता को देख रहे हैं और कुशवाहा के भी सांगठनिक क्षमता को देखा है। नीतीश कुमार को पता है कि परदे के पीछे रहते हुए कुशवाहा ने कैसे संगठन तैयार किया था। राजद का बड़ा वोटबैंक होने के बावजूद समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों ने लव-कुश समीकरण को मजबूत कर नीतीश को मुख्यमंत्री बनाया। इसलिए संगठन को कमजोर होता देख नीतीश कुमार लव-कुश समीकरण को मजबूत करने के इरादे से कुशवाहा को साथ लाए हैं। ऐसे में सामजिक समीकरण की दृष्टि से सांगठनिक व्यक्ति तो मिल गया लेकिन, बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष RCP सिंह का लिटमस टेस्ट होना बाकी है।

मोदी व RSS को बुरा कहने वाले कुशवाहा का भाजपा ने किया स्वागत

कुशवाहा के विलय को लेकर भाजपा एकदम सधी हुई चाल रही है। विलय के बाद अधिकांश भाजपा नेता कुशवाहा का स्वागत कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि कुशवाहा के जदयू में जाने के बाद भाजपा खुश क्यों है? इसके पीछे यह कहा जा रहा है कि अब भाजपा के पास चिराग को एनडीए में साथ रखने का एक बड़ा कारण मिल गया। क्योंकि, सार्वजनिक चर्चाओं की मानें तो जदयू परिवार विधानसभा चुनाव में जदयू के ख़राब प्रदर्शन का कारण चिराग को मान रही है। भाजपा चिराग को एनडीए में शामिल करने के लिए प्रयासरत है लेकिन, नीतीश व आरसीपी के दवाब में निर्णय नहीं ले पा रही है।

वहीं, अब कुशवाहा के जदयू में जाने के बाद, जो कि मोदी और आरएसएस को लेकर काफी बुरा-भला कह चुके हैं। यही कुशवाहा जो एनडीए से अलग होते वक्त कहा था कि पीएम मोदी जुमलेबाज और बनावटी ओबीसी हैं। मोदी से ओबीसी के लोग निराश हुए हैं और ओबीसी वर्ग ठगा हुआ महसूस कर रहा है। मोदी के साथ-साथ कुशवाहा ने आरएसएस (RSS) को लेकर कहा था कि सबकुछ समझने के बाद मुझे लगता है कि आरएसएस (RSS) के एजेंडे को लागू करने के लिए मुझे कैबिनेट में एक मिनट के लिए भी नहीं रुकना चाहिए। वे अब जदयू में आ चुके हैं। ऐसे में भाजपा चिराग के पक्ष में खुलकर बैटिंग कर सकती है और चिराग को कुशवाहा के बहाने संजीवनी मिल गई है। वैसे भी भाजपा को पता है कि कोई भी चुनाव में लोजपा के सहयोग के बिना परिणाम कुछ भी हो सकता है।

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