चिराग ने राजू को बनाया LJP कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, प्रिंस का ‘राज’ खत्म!
पटना : संगठन को बिखरता देख लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने पार्टी को मजबूत रखने के लिए नया दांव चला है। चिराग ने राजू तिवारी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। इसके अलावा चिराग ने शाहनवाज कैफी को हटाकर संजय पासवान को लोजपा का नया प्रधानसचिव नियुक्त किया है। संजय पासवान बिहार लोजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष थे।
विदित हो कि चिराग पासवान चुनाव परिणाम आने के बाद संगठन की नाराजगी को भांपते हुए दिसंबर में लोजपा की प्रदेश कार्यसमिति को भंग कर दिया था। सभी प्रकोष्ठों को भंग करने के बाद यह कहा जा रहा है कि संगठन के अंदर नारजगी को कम करने के लिए चिराग ने ऐसा किया है। लेकिन, ढाई महीने बीतने के बाद आज आंशिक बदलाव देखने को मिला है।
चिराग के इस दांव को सवर्ण दलित राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है, जो कि बीते विधानसभा चुनाव में लोजपा के पक्ष में जमकर वोटिंग किया था।
चर्चाओं की मानें तो लोजपा इस बार पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष परिवार के बाहर के लोगों को बनाना चाह रही है। चिराग प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत या कुशवाहा चेहरे की तलाश में थे। फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष चिराग के भाई प्रिंस राज हैं, जो समस्तीपुर से सांसद हैं। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी इसलिए हो रही है, क्योंकि प्रिंस राज को कोई अन्य जिम्मेदारी के लिए तैयार किया जा रहा है। फिलहाल राजू तिवारी संगठन का काम देखेंगे और प्रिंस अध्यक्ष बने रहेंगे।
विधानसभा चुनाव में लोजपा का सबसे शानदार प्रदर्शन 2005
लोजपा से जुड़ा एक तथ्य यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा का सबसे शानदार प्रदर्शन 2005 में रहा, जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुमित सिंह के पिता नरेंद्र सिंह थे। नरेंद्र सिंह के प्रदेश अध्यक्ष रहते, उस चुनाव में लोजपा के 29 विधायक जीते थे। लेकिन, राज्य में कोई सरकार नहीं बनते देख नरेन्द्र सिंह लोजपा के कई विधायकों के साथ जदयू में शामिल हो गए थे।
ज्ञातव्य हो कि कुछ दिनों पूर्व राजू तिवारी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर आरसीपी सिंह की शिकायत की थी, जिसमें राजू तिवारी ने कहा था कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के द्वारा बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट मुहिम से गद्दारी कर जदयू में आए लोजपा के 208 साथियों की सूची सार्वजनिक की गई थी, जिसमें बहुत फर्जीवाड़ा किया गया है। यह सूची अन्य सरकारी सूची के जैसी फर्जी साबित हुई। सूची में कई नाम बिना सहमति के फर्जी तरीके से डाल दिए गए हैं, जिसका खंडन समाचारों में देखा जा रहा है और साथ ही मीडिया में आपके पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के फर्जीवाड़े की चर्चा हो रही है।