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छपरा से दिघवारा तक एक सप्ताह से एनएच—19 जाम

डोरीगंज/सारण : एनएच-19 यानी छपरा-पटना मुख्य मार्ग 1 जनवरी से ही जाम है। अधिकारी लेकिन एक सप्ताह में भी अधिक हो जाने के बाद इससे निजात दिलाना तो दूर, इसकी कोशिश करते तक नजर नहीं आ रहे। लगता है जैसे सरकारी तंत्र जाम हटवाने में फेल है। लगातार जाम के कारण स्कूल जाने वाले बच्चों को देर हो रही है तो लोग टाइम पर ऑफिस नहीं पहुंच पा रहे। इतना ही नहीं, कई बार तो एम्बुलेंस में मरीज घंटों तड़पते रहते हैं लेकिन उन्हें आगे बढ़ने का रास्ता नहीं मिल पाता। जाम के कारण राज्य पथ परिवहन की बसें भी रूट बदलकर चल रही हैं। इतनी सारी दुश्वारियों के बाद भी जिला प्रशासन चैन की नींद ले रहा है।
जाम के कारण अधिकतर वाहन अपना रूट बदल दिए हैं। छपरा से दिघवारा तक के व्यवसायी, स्कूली व काॅलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं, मरीज, किसान, व्यापारी सभी परेशानी में हैं। महज 12 किमी की यात्रा करने में लोगों को 4-6 घंटे लग रहे हैं, वह भी मुख्य सड़क से नहीं।

इसलिए लग रहा जाम

स्थानीय लोग बताते हैं कि जब से डोरीगंज में बालू पर बैन लगा, तब से जाम की समस्या बढ़ गई क्योंकि आरा की तरफ से आने वाले वाहनों की संख्या हजारों में है। यदि नदी के दोनों तरफ यानी डोरीगंज और भोजपुर के घाट चलते तो वाहन बंट जाते, इससे जाम कम लगता। आरा-छपरा पुल जून 2017 में चालू हुआ तब से वाहनों का रेला इधर आने लगा और जाम में और बढोतरी होती गयी। स्थानीय लोगों का मानना है कि जिला प्रशासन जानबूझ कर यहां के लोगों को परेशान कर रहा है। क्योंकि जब ब्राडसन काॅमोडिटिज प्रा॰ लि॰ को पुराने नियम पर बालू के उठाव की अनुमति दी गयी तो सारण के घाटों को क्यों वंचित रखा गया? अगर डोरीगंज के घाट खुलते तो जाम की समस्या पर काबू बहुत हद तक पाया जा सकता था। लेकिन नियम का हवाला देकर इन घाटों को बंद कर दिया गया और अवैध तरीके से भोजपुरी से बालू का खनन चालू है। जिसके चलते जाम तो लग ही रहा है, वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है।

अवैध खनन का भी मामला

लोगों का कहना है कि सरकारी नियम के अनुसार बालू के उठाव में मशीनों का उपयोग नहीं करना था जबकि भोजपुर में पोकलैंड व बड़ी बड़ी मशीनें चल रही हैं। वहीं सरकार द्वारा यह भी कहा गया था कि दूसरे राज्यों में बालू नहीं जाएगा। इसके लिए जीपीएस सिस्टम भी लगाया गया था, लेकिन वह कुछ ही दिनों में फेल हो गया। अभी प्रतिदिन हजारों ट्रक नियम की अनदेखी कर उत्तर प्रदेश में जा रहे हैं। भोजपुर में अवैध खनन और डोरीगंज में घाट बन्द होने से 20 हजार मजदूर बेरोजगार हैं। जिनका कहना है कि हम लोग तो बांस व रस्सी के सहारे बालू खींचते थे, वह भी छः इंच से आठ इंच जबकि अभी भोजपुर तरफ पोकलैन द्वारा 20-20 फीट गड्ढे किये जा रहे है। अवैध खनन के कारण वाहनों की संख्या काफी बढ़ गई है और जाम की समस्या भी विकराल हो गई है।

जाम से प्रभावित क्षेत्र

जाम के कारण सदर प्रखंड के पूर्वी तेलपा, शेरपुर, विष्णुपुरा, खलपुरा, महाराजगंज, चिरांद, भैरोपुर निजामद, जलालपुर, डूमरी, मुस्सेपुर, रायपुर बिंदगांवा, कोटवापट्टही रामपुर, बरहारा महाजी, गरखा प्रखंड के कोठेया, मौजमपुर, नरावं, दिघवारा प्रखंड के झौवां, आमी के अलावे भोजपुर के दर्जनों पंचायत के लोग परेशान हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। बीमार अस्पताल पहुंचने से पहले रास्ते में ही दम तोड़ दे रहे हैं। किसानों के सब्जी, दूध शहर तक पहुंचते-पहुंचते खराब हो जा रहा है। स्थानीय लोगों के गवई रास्ते भी वाहनों के चलने से जर्जर हो गये हैं। लेकिन अभी तक प्रशासन द्वारा कुछ नहीं किया जा रहा है। इससे लोगों में काफी गुस्सा है। यदि शीघ्र ही प्रशासन से जाम हटाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाया तो परेशान लोगों का गुस्सा फूट सकता है।